आखिर कौन भु माफिया जिसके ऊपर अब तक कोई बड़ी कार्यवाही नही
मैं और महावीर जैन भूमाफिया है : पंकज जैन
चेम्बर आफ कामर्स व गरुकुल पब्लिक स्कूल के अध्यक्ष भूमाफिया ?
कवर्धा – सराफा कारोबारी ने अनुविभागीय दंडाधिकारी कार्यालय में चले एक प्रकरण में दिए शपथ पूर्वक कथन में स्वीकारा था कि वो खुद और उसका भाई भूमाफिया है। बताया जा रहा है भाई लगभग 77 सदस्यीय चेम्बर आफ कामर्स का जिम्मेदार पदाधिकारी के साथ साथ एक शैक्षणिक संस्थान का भी जिम्मेदार पदाधिकारी है। बीते 20 सालों में दोनों भाईयों और इनके परिजनों के नाम पर काफी जमीनों की खरीदी बिक्री हुई है जिसमे बेनामी संपत्ति होने की आशंका भी शहर वासी जाहिर कर रहे है । शासन प्रशासन भूमाफिया बंधुओ और उनके परिजनों की संपत्ति के दस्तावेज खंगाले तो एक बड़े मामले का खुलासा हो सकता है ।
प्राप्त जानकारी अनुसार जिले में जमीनों की खरीदफरोख्त और विवाद के नाम पर चर्चित भूमाफिया भाइयों की जोड़ी और उनकी शिकायती प्रवृत्ति से जिले के काफी परिवार त्रस्त व हलाकान परेशान है । वर्ष 2019 में अनुविभागीय दंडाधिकारी कार्यालय में चले एक राजस्व प्रकरण क्रमांक 3 /2019 धारा 133 सीआरपीसी में शपथ पूर्वक कथन व प्रतिपरीक्षण में पंकज जैन ने कहा है कि ” यह सही है कि मैं और महावीर जैन सगे भाई है ।यह सही है कि मैं और महावीर जैन भू माफिया है ।” उनके व उनके परिवार के अन्य सदस्यों व रिश्तेदारों के नाम पर शहर के आसपास बड़े रकबे में काफी जमीनी खरीदी गई है । टुकड़ो में खरीद फरोख्त और परिजनों व रिश्तेदारों के नाम हुई खरीद फरोख्त में लगाया गए पैसे और भूमाफिया बंधुओ की राशि होने के संबंध में जांच किया जाना आवश्यक हो जाता है । भूमाफिया की स्वीकारोक्ति वाले कथन की जानकारी के बावजूद शासन प्रशासन का भूमाफिया पर कार्यवाही की जगह माफिया बंधुओ द्वारा की जा रही झूठी शिकायतों पर त्वरित कार्यवाही कर अघोषित संरक्षण दिया जाना चर्चा का विषय बना हुआ है ।
यहां बताना लाजमी होगा कि पंकज जैन का भाई महावीर जैन लगभग 77 सदस्यीय चेम्बर आफ कामर्स का कवर्धा का जिलाध्यक्ष और जिले के नामी गिरामी स्कूल गुरुकुल पब्लिक स्कूल का अध्यक्ष भी है ।
भूमाफिया द्वारा स्वीकारोक्ति को लेकर ज़िले के वरिष्ठ अधिवक्ता सुधीर पांडेय का कहना है कानून की परिधि से बाहर जाकर जमीन क्रय विक्रय करना और दान पत्र के नाम पर सरकार को चुना लगाना भूमाफिया की श्रेणी में आता है
उनकी इस स्वीकारोक्ति के बाद शासन प्रशासन द्वारा स्वयं संज्ञान लेकर अपराध दर्ज कर परिजनों व रिश्तेदारों के नाम पर की गई बेनामी सम्पत्ति की ख़रीदी की जांच की जानी थी किंतु अब तक एफआईआर का दर्ज नही किया जाना अनेकों संदेह को जन्म दे रहा है ।