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गोपीकाओं के चीरहरण में मर्यादा का संदेश निहित : नरसिंहदेव जी

कवर्धा- श्रीमद्भागवत महापुराण कथा के पंचम दिवस वृंदावन धाम से पधारे श्री राधारमणलाल जी मंदिर के सेवाधिकारी कथाव्यास पूज्य नरसिंहदेव गोस्वामी जी महाराज ने कृष्ण की बाल लीला, रासलीला का वर्णन, गोपियों का चीरहरण और गोवर्धन पूजा का वृतांत श्रवण-पान कराया। सिद्धपुर नवागांव पांडातराई में पाठक परिवार से के सौजन्य से आयोजित कथा में नरसिंहदेव जी ने भगवान श्री कृष्ण के द्वारा यमुना नदी में निर्वस्त्र होकर स्नान करती गोपीकाओं का चीरहरण कर यह संदेश दिया कि इस तरह की क्रिया से जल के देवता वरुण देव का अपमान होता है और मर्यादा का उल्लंघन होता है तथा इस अपराध के लिए उन्होंने गोपीकाओं से उसी अवस्था में भगवान सूर्यदेव से क्षमा-याचना मांगने को कहकर उनके अंतःकरण के मनोविकारों का परीक्षण भी किया. इस अवसर पर पाठक परिवार के द्वारा श्री गोवर्धन पूजा, छप्पन-भोग एवं महाआरती का कार्यक्रम भी रखा गया था. श्रीनरसिंह देव की ओजस्वी एवं रोचक कथा शैली के कारण पांडातराई के अलावा आसपास के क्षेत्र से श्रोतागण पहुंचकर कथा का रसपान कर रहे हैं।

 

 

 

Ashok Kumar Sahu

Editor, cgnewstime.com

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