अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस स्पेशल : गेवरा की मैट्रन संयोगिता ग्वाल, कोरोना ने पति को छीना, फिर भी कर रही कोविड संक्रमितों की सेवा, समाज में बनी मिशाल
गेवरा/दीपका। दुनियाभर के ज़्यादातर देश इस समय कोरोना महामारी से जूझ रहे हैं। ‘अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस’ इस भयंकर महामारी के बीच ख़ास महत्व रखता है। नर्स अस्पतालों और क्लीनिकों की रीढ़ की हड्डी होती हैं, जो इस समय लगातार काम कर रही है।
‘अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस’ के अवसर पर हम आपको संयोगिता ग्वाल के त्याग और समर्पण के बारें में बताने जा रहें हैं, जो एक कोरोना योद्धा है और अपने परिवार के सदस्य को इस महामारी में खो देने के बाद भी निरंतर अपना कार्य कर रही है।
क्यों है संयोगिता ग्वाल इतनी ख़ास ? –
साल 2020 जब कोरोना ने दुनिया सहित भारत में अपना कदम रखा तब से लेकर अब तक क्या आम? क्या ख़ास? हर किसी ने इस महामारी की वजह से अपने प्रियजनों को खो दिया।
अपनो को खोने का सिलसिला 2021 में भी जारी है, आम जनता को तो दुःख मनाने का थोड़ा समय भी मिल जाता है, लेकिन इन लोगों में हमारे स्वास्थ्यकर्मी भी है, जिन्हें निरंतर बिना टूटे और बिना रुके अपना काम करना होता है।
इन्हीं कोरोना योद्धा में से एक है मैट्रन संयोगिता ग्वाल, जिन्होंने अपने पति को इस कोरोना महामारी की वजह से खो दिया और पूरे परिवार के साथ कोरोना संक्रमित हो गई। लेकिन जिंदगी से बिना हार माने वह आज तक डटकर लड़ रही है और कोरोना मरीजों की सेवा कर रही है।
गंभीर बीमारी से पीड़ित थे पति –
मैट्रन संयोगिता ग्वाल ने सीजी न्यूज़ टाइम से बातचीत में बताया कि उनके घर में वे पति-पत्नी सहित चार सदस्य थे। पति सुभाष ग्वाल 58 वर्ष शुगर हाइपर इम्यून डिसऑर्डर से पीड़ित थे 4 वर्षों से उनका इलाज सीएमसी वेल्लोर में चल रहा था। तभी तबियत बिगड़ने की वजह से उन्हें अपोलो अस्पताल बिलासपुर में भर्ती किया गया, जहां उनकी रिपोर्ट कोरोना संक्रमित पाई गई। 2020 अगस्त 21 को उनका निधन हो गया। इस दौरान मैट्रन संयोगिता ग्वाल उम्र 55 वर्ष नेहरू शताब्दी चिकित्सालय गेवरा में अपनी सेवाएं दे रही थी वही, पति की मौत की खबर ने उन्हें पूरी तरह से तोड़ कर रख दिया।
उन्हें और अधिक झटका तब लगा जब संयोगिता अपने परिवार के अन्य सदस्यों के साथ कोरोना संक्रमित पाई गई। इस हादसे से मैट्रन संयोगिता ग्वाल का मनोबल काफी गिर गया था, उन्होंने हार ना मानकर कोरोना से लड़ाई लड़ी और जल्द परिवार के अन्य सदस्यों के साथ कोरोना को मात दिया।
कोरोना मरीजों की करूंगी सेवा –
पति को खो देने के बाद भले ही संयोगिता टूट गई, लेकिन जल्द ही उन्होंने खुद को संभाला और कोरोना मरीजों की सेवा करने की ठानी। उन्होंने अपने मन में ठाना कि मेरे पति इस बीमारी की वजह से चले गए लेकिन मैं किसी और के परिवार को बिखरने नही दूंगी। इसी जज्बे के साथ वह गेवरा के CETI कोविड-19 अस्पताल में अपने ड्यूटी देने लगी और अभी भी कोरोना की दूसरी लहर के बीच 55 वर्ष की उम्र में लगातार ड्यूटी दे रही हैं।
संयोगिता कहती है कि मैं समाज और देश को यह बताना चाहती हूं कि जो चला गया वो वापस नही आएगा लेकिन जो अभी साथ है वह एक-दूसरे का सहारा बने, कोरोना से लड़ना है हारना नहीं।