कबीरधाम : दम तोड़ रहा मुख्यमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट, गर्मी में मवेशियों के सर पर नहीं छत, ना पीने को मिलता पानी, खाद केवल रखने के लिए तैयार
कबीरधाम । सीएम का ड्रीम प्रोजेक्ट नरवा, गरवा, घुरवा अउ बारी जिले में दम तोड़ता नजर आ रहा है। इसकी सुध लेने वाला कोई भी नहीं है। शासन ने जितने उत्साह के साथ गौठान समिति का गठन किया था, वह उत्साह ना अब शासन में रहा ना समिति में।
आखिर क्यों कह रहें हम ऐसा ? –
दरअसल, जिले में आंधी तूफान की वजह से अधिकांश जगहों पर बने पशु शेड भरभरा कर गिर चुके हैं, जिसे बनाने वाला कोई भी नहीं है। स. लोहारा ब्लॉक के ग्राम वीरेंद्रनगर का हाल भी यही है, जहाँ हर वर्ष आंधी में शेड गिरता है और फिर सरकारी खर्चो में इसकी मरम्मत करवाई जाती है।
प्रशासन को हर बार के खर्चो से बचने के लिए स्थाई शेड बनाने की जरूरत है। वही, गौठान समिति अपने कार्यो को लेकर निष्क्रिय है। गौठान में ना पशुओं के लिए चारा है ना ही पशुओं को कोई पानी देने वाला है। यहां पर शासन ने बाकायदा बोर करवा रखा है। इसके बाद भी समिति की निष्क्रियता जग जाहिर है। गौठान की व्यवस्था प्रारंभ करने के दौरान जितना भी उत्साह था, सब धरा का धरा रह गया है। वही, मवेशियों की हालत बद से बत्तर है।
गौठान में कार्य कर रही स्व-सहायता समूह को अभी तक कोई भुगतान नही –
वही, ग्राम टाटिकसा के गौठान में खाद बनाने के कार्य कर रहें माता कर्मा स्व. सहायता समूह के अध्यक्ष संगीता साहू ने बताया कि समूह को कार्य करते एक वर्ष पूर्ण हो चुके है। 100 कुंटल से ज्यादा खाद बन कर तैयार है। कुछ खाद के लिए सोसाइटी ने किसानों को टोकन जारी किया है। लेकिन अभी तक किसानों के द्वारा खाद का उठाव नही किया गया है। महिलाओं के लिए चिंता की बात यह है कि जितने भी खाद का अब तक वितरण किया गया है, उन्हें उसका भुगतान भी नहीं मिला है। मतलब साफ है कि वह केवल मेहनत कर रही है, जिसका मेहनताना किसी को भी प्राप्त नहीं हुआ है।
इस लापरवाही के लिए आखिर किसे जिम्मेदार ठहराया जाए? शासन को सुध नहीं है और समिति अपनी जिम्मेदारी निभाने का समय नही है। इस भीषण गर्मी में क्षेत्र के मवेशियों का बुरा हाल है, उन्हें पीने का पानी नहीं मिल पा रहा है गर्मी की वजह से नदी नाला सूख गया है। लेकिन किसी को कोई परवाह नहीं है।
क्या कहते है अधिकारी –
Cg News Time से बातचीत के दौरान नरेंद्र शर्मा जनपद पंचायत CEO सहसपुर लोहारा ने कहा कि मैंने दौरा किया है और इसे वापस बनाने के लिए निर्देश भी दिया है। उन्हीं मटेरियल का उपयोग करके दोबारा अस्थाई सेड का निर्माण किया जाएगा क्योंकि स्थाई रूप से इसे निर्माण करने के लिए कोई फंड नहीं है। पिछले कुछ दिनों से आंधी तूफान की वजह से कई स्थानों का ऐसा हाल है। वही, खाद की बिक्री नहीं होने वाले सवाल पर उनका जवाब था कि इसकी बुकिंग कृषि विभाग करेगा।
बहरहाल, जो भी कहां जाए, सैड कब बनेगा? कब तैयार होगा? स्थाई रहे या अस्थाई?, इन सभी का मसला एक ही है क्योंकि मवेशियों को सबसे ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। एक बार रहने के लिए उन्हें छत मुहैया करा दी गई इसके बाद बार-बार उनका ठिकाना छीन लिया जाता है।