गेवरा/दीपका। भारत को अंग्रेजों से आजादी हमारे वीर स्वतंत्रता सेनानियों के संघर्ष और बलिदानों की वहज से मिली है। वही बात करें छत्तीसगढ़ी की तो देश की आजादी के लिए संघर्ष और बलिदान करने में छत्तीसगढ़ के स्वतंत्रता सेनानी किसी से पीछे नहीं रहे। इनमें सर्वप्रथम नाम आता है शहीद वीर नारायण सिंह का। छत्तीसगढ़ के प्रथम शहीद सेनानी वीर नारायण सिंह का जन्म 1795 में सोनाखान के जमींदार परिवार में हुआ था। जो वर्तमान में बलौदाबाजार जिले के अंतर्गत आता है। वे बिंझवार आदिवासी समुदाय से ताल्लुख रखते थे। देशभक्ति और निडरता उन्हें अपने पिता रामसाय से विरासत में मिली थी।
1857 में जब प्रथम स्वाधीनता संग्राम की लड़ाई पूरे देश में तेज हुई तो छत्तीसगढ़ में भी इसकी आग तेजी से फैली। यहां के लोगों ने जेल में बंद वीर नारायण सिंह को ही अपना नेता मान लिया और इस लड़ाई में शामिल हो गये। उन्होंने अंग्रेजों के बढ़ते अत्याचारों के खिलाफ बगावत करने की ठान ली। नाना साहब द्वारा इस क्रांति की सूचना रोटी और कमल के माध्यम से देश भर की सैनिक छावनियों में भेजी जा रही थी। यह सूचना जब रायपुर पहुँची, तो कुछ देशभक्त जेलकर्मियों ने योजना बनाकर वीर नारायण सिंह को कारागार से मुक्त करा लिया। जेल से मुक्त होकर वीर नारायण सिंह ने 500 सैनिकों की एक सेना बनाई और 20 अगस्त 1857 को सोनाखान में आजादी का बिगुल बजा दिया। इलियट ने स्मिथ नामक सेनापति को इस विद्रोह को दबाने के लिए के लिए भेजा। वीर नारायण सिंह ने अंग्रेजों का डट कर मुकाबला किया। लेकिन सोनाखान के आसपास के अनेक जमींदार अंग्रेजों से मिल जाने के कारण उन्हें पीछे हटना पड़ा। किन्तु वीर नारायण सिंह में जब तक शक्ति और सामर्थ्य रहा वे अंग्रेजों से लड़ते रहेे। लेकिन एक बार फिर सोनाखान के आसपास के जमींदारों की गद्दारी से वीर नारायण सिंह पकड़े गये और उन पर राजद्रोह का आरोप लगाते हुए 10 दिसंबर 1857 को अंग्रेजों ने रायपुर में उन्हें सरेआम फांसी दे दी। मातृभूमि के लिए अपने प्राणों का बलिदान देने वाले अमर शहीद वीर नारायण सिंह को जहां पर फांसी दी गई थी, आज वह रायपुर में जय स्तंभ चौक के नाम से जाना जाता है।
ऐसे महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का ग्राम पंचायत लिटिया खार में आदिवासी जननायक शहीद वीर नारायण सिंह जी का शहादत दिवस धूमधाम से रैली निकालकर पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष कोरबा देवी सिंह टेकाम के सानिध्य में ग्राम पंचायत लिटिया खार के उपसरपंच सागर सिंह उईके के सहयोग से एवं गांव के प्रमुख सियानो छत्रपाल सिंह श्याम देव बैगा भुवन पाल सिंह श्याम, ईश्वर सिंह उईके, कीर्ति कुमार सरोज को राम, जोहन सिंह उईके, रामकुमार, अनिल सुखवारा, कोराम और ग्राम के जनमानस के उपस्थिति में बुढ़ा देव स्थल में संपन्न हुआ।