दंतेवाड़ा। छत्तीसगढ़ के बस्तर में लाल आतंक की कमर दिन ब दिन टूटती नजर आ रही है। जाबांज जवानों की ताबड़तोड़ कार्रवाई के आगे नक्सली घुटने टेक रहे हैं। इसी कड़ी में दंतेवाड़ा में 2 नक्सली दंपत्ति ने सरेंडर किया है। 42 जवानों की हत्या के बाद आत्मसमर्पण किया है। नक्सल दंपत्ति ने ‘लाल आतंक’ और खून खराबे को अलविदा कह एक नई जिंदगी जीने का रास्ता चुना है।
मंगलवार को 7 लाख रुपये के हार्डकोर माओवादी दंपत्ति ने पुलिस के सामने सरेंडर किया है। ये दोनों माओवादी बुरकापाल, मैलावाड़ा, शायमगिरी जैसी कई बड़ी मुठभेड़ों में शामिल रहे हैं। इन मुठभेड़ों में शामिल रहकर दोनों ने कुल 42 जवानों की हत्या की है। दोनों में से पुरुष माओवादी पर 5 लाख और महिला माओवादी पर 2 लाख रुपये का इनाम घोषित था। बताया जा रहा है कि लाल आतंक से त्रस्त होकर दोनों ने खुशहाल जिंदगी जीने के लिए संगठन छोड़ने का निर्णय लिया है।
नक्सलियों के प्लाटून नंबर 25 के सेक्शन कमांडर हुर्रा कुंजाम के मुताबिक पिछले कई सालों से वह माओवाद संगठन से जुड़कर काम कर रहा था। वह मलांगेर एरिया कमेटी के खूंखार माओवादी देवा, जयलाल समेत अन्य के साथ काम कर चुका है। संगठन में रहते हुए उसे साथी महिला नक्सली बुधरी माड़वी से प्यार हो गया। दोनों ने बड़े कैडर्स से शादी के लिए इजाजत ली। जिसके साल 2018 में इनकी शादी करवा दी। शादी के बाद बुधरी एकाएक बीमार पड़ने लग गई थी, वो शारीरिक रूप से स्वस्थ नहीं थी। हथियार पकड़कर जंगल में कुछ दूरी चलती तो हाथ-पैर में सूजन आ जाती थी, वो दर्द से तड़पती थी, लेकिन बड़े लीडर्स संगठन के कामों के लिए दबाव बनाते थे। काफी प्रताड़ित करते थे।
लोन वर्राटू अभियान के तहत किया सरेंडर –
हुर्रा ने बताया कि पत्नी की तकलीफों को देख उससे रहा नहीं गया, इसलिए उसने संगठन छोड़ने का निर्णय ले लिया। रात के अंधेरे में किसी तरह से छिपते-छिपाते दोनों जंगल से बाहर आ गए। फिर दंतेवाड़ा पुलिस और CRPF के अधिकारियों के सामने आकर सरेंडर कर दिया। दंतेवाड़ा एसपी सिद्धार्थ तिवारी ने बताया कि माओवादियों की प्रताड़ना और खोखली विचारधारा से तंग आकर दोनों ने लोन वर्राटू अभियान से प्रभावित होकर समर्पण किया है। दोनों को सरकार की योजनाओं का लाभ दिया जाएगा। एसपी ने बताया कि दंपती कई बड़ी घटनाओं में शामिल रहे हैं। इनसे पूछताछ की जा रही है और भी खुलासे ये कर सकते हैं।
इन घटनाओं में थे शामिल –
– साल 2014 में दंतेवाड़ा जिले में श्यामगिरी में सड़क निर्माण की सुरक्षा में लगे जवानों को एंबुश में फंसाकर अंधाधुंध फायरिंग की थी। इस घटना में जिला पुलिस के 5 जवान शहीद हुए थे।
– साल 2014 में मैलावाड़ा में IED ब्लास्ट किए थे. जिसमें CRPF के 7 जवान शहीद हुए थे।
– साल 2017 में बुरकापाल में CRPF के जवानों को एंबुश में फंसाया था। दोनों तरफ से हुई गोलीबारी में कुल 25 जवानों ने शहादत दी थी।
– साल 2017 में ही मदाड़ी में IED ब्लास्ट किए थे. जिसमें जिला पुलिस के 5 जवान शहीद हुए थे।