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आयकर विभाग का नया नियम : उधार देने वालों की मुसीबत बढ़ी, अब बताना होगा पैसे कहा से आएं ….

रायपुर/नई दिल्ली। निजी संस्था, प्राइवेट फाइनेंशियल कंपनी या बड़े कारोबारी अब किसी को भी आसानी से लोन नहीं दे सकेंगे। अभी तक लोन लेने वाले आम लोग या कारोबारी रिटर्न दाखिल करते समय यह जानकारी देते थे कि उन्होंने लोन किससे लिया। इसी दस्तावेजों के आधार पर उनका रिटर्न भी फाइल हो जाता था।

अब आयकर विभाग के नए नियम के अनुसार जिस व्यक्ति, कारोबारी या संस्था ने लोन दिया है उसे भी ये बताना होगा कि लोन देने के लिए उसके पास पैसे कहां से आएं हैं? लोन लेने वालों को लोन देने वाले का भी इंकम ऑफ सोर्स बताना होगा। उसने किस इंकम ऑफ सोर्स यानी कहां से पैसे कमाकर लोन दिया है।

आयकर विभाग के इस नए नियम से लोन लेने वालों की परेशानी बढ़ जाएगी। लोन देने वालों को कर्ज देने के साथ अपनी कमाई का जरिया और पूरी इंकम की डिटेल देनी होगी। इससे अभी तक जिस तरह आसानी से लोन मिल जाता था, उसमें दिक्कत आएगी। कई लोन देने वाले इस नियम के चक्कर में लोन देने से बचेंगे।

इसी वजह नए नियम का कारोबारी संगठनों ने कड़ा विरोध शुरू कर दिया है। उनका कहना है कि इस तरह की सख्ती से बाजार में कैश फ्लो के साथ ही व्यापार भी प्रभावित होगा। जिन कारोबारियों को सरकारी लोन नहीं मिल पाता है वे निजी संस्थाओं से लोन लेते हैं। इंकम टैक्स की इस सख्ती के बाद बड़े कारोबारी लोन देने से बचेंगे।

इससे खासतौर पर छोटे कारोबारियों को बड़ा नुकसान होगा। इंकम टैक्स बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष सीए चेतन तारवानी ने बताया कि 1 अप्रैल 2022 से आयकर की धारा 68 में महत्वपूर्ण परिवर्तन किया गया है। इस नए नियम के अनुसार जिस किसी से भी लोन लिया गया है उस लोन देने वाले का इंकम ऑफ सोर्स भी बताना होगा।

यानी पहले किसी से लोन लिया जाता था तो उसके लोन की वास्तविकता बताने उसके इंकम टैक्स पेपर, बैलेंस शीट, बैंक स्टेटमेंट आदि जमा कराए जाते थे। जिसे आयकर विभाग स्वीकार कर लेता था। अब जिससे लोन लिया जा रहा है उसके इंकम सोर्स की भी जांच की जाएगी कि उसने लोन देने के लिए रकम कहां से लाई है। ऐसे में लोन देने वाले का सोर्स बताना बेहद मुश्किल होगा। लोन देने वाली संस्था या कारोबारी लोन देने से इंकार भी कर सकते हैं।

बड़ी आबादी को होगी दिक्कत –

बैंकों में सभी दस्तावेज नहीं दे पाने वाले लोग आमतौर पर निजी संस्थाओं और बड़े कारोबारियों से ही लोन लेते हैं। ऐसे में खासतौर पर मिडिल क्लास परिवारवालों को लोन लेने में दिक्कत होगी। उन्हें जमीन-गाड़ी खरीदने और मकान बनाने के दौरान लोन नहीं मिलने से कई तरह की परेशानियां होगी।

बड़े कारोबारी अब हर किसी को लोन देने के बजाय केवल उन्हें ही देंगे जहां वे साबित कर सकेंगे कि उन्होंने लोन देने के लिए रकम कहां से लाई है। इसलिए आयकर विभाग के इस नियम का विरोध आम लोग भी कर रहे हैं।

आय मानकर पेनाल्टी और सरचार्ज वसूलेंगे –

बैंकों से लोन लेने पर यह नियम लागू नहीं होगा। इसके साथ ही यह नियम भी लागू किया गया है कि धारा 68 में जिसने लोन लिया है और वो ये प्रमाण नहीं कर पाया कि उसने लोन देने के लिए पैसे कहां से लाए, तो ऐसे लोगों की रकम को कैश क्रेडिट माना जाएगा।

इन पैसों का निर्धारण कर निर्धारण धारा 115 बीबीई के अनुसार होगा। यानी इसे भी आय मानकर उस पर 72.5 प्रतिशत टैक्स पेनाल्टी एवं सरचार्ज की वसूली की जाएगी। यही वजह है कि छोटे-बड़े कारोबारी इस नियम का जमकर विरोध कर रहे हैं। इस मामले में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को भी चिट्ठी लिखी गई है।

Ashok Kumar Sahu

Editor, cgnewstime.com

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