कबीरधाम। छत्तीसगढ़ कवर्धा स्थित भोरमदेव मंदिर के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है। मंदिर की दीवारों से बारिश का पानी रिस रहा है। यह रिसाव इतना ज्यादा है कि मंदिर के गर्भगृह तक पहुंच गया है। वही, जिले में पिछले 36 घंटे से मूसलाधार बारिश ही रही है। अब इस समय लगातार हो रही बारिश के चलते पानी मंदिर के अंदर पहुंच रहा है। वही यह पानी पत्थरों के गैप से रिस रहा है। इसकी जानकारी जिला प्रशासन, पुरातत्व विभाग को दी गई है। फिलहाल तक तो मंदिर की सुरक्षा को लेकर कोई कदम नहीं उठाया गया है।
11वीं शताब्दी में राजा गोपाल देव ने बनवाया मंदिर –
मंदिर करीब 1 हजार साल पुराना है। भोरमदेव मंदिर की बनावट खजुराहो और ओडिशा के कोणार्क मंदिर जैसी है। कबीरधाम से करीब 10 किमी दूर मैकल पर्वत समूह से घिरा यह मंदिर करीब एक हजार साल पुराना है। यहां मुख्य मंदिर की बाहरी दीवारों पर मिथुन मूर्तियां बनी हुई हैं, इसलिए इसे ‘छत्तीसगढ़ का खजुराहो’ कहा जाता है। मंदिर को 11वीं शताब्दी में नागवंशी राजा गोपाल देव ने बनवाया था। ऐसा कहा जाता है कि गोड राजाओं के देवता भोरमदेव थे और वे भगवान शिव के उपासक थे। शिवजी का ही एक नाम भोरमदेव है। इसके कारण मंदिर का नाम भोरमदेव पड़ा।
देश विदेश से आते हैं श्रद्धालु और पर्यटक –
कबीरधाम जिला अपने में ही एक खूबसूरत जिला है, जहां पर्वतों के बीच भोरमदेव का प्राचीन मंदिर स्थित है। यहां शिव आराधना के लिए श्रद्धालु व पर्यटक देश विदेश से आते हैं। सावन महीने में यहां पर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। लाखों की भीड़ यहां पर शिव शंकर में जलाभिषेक के लिए कांवर लेकर पहुंचती है।
पुरातत्व विभाग दिखा रही बड़ी लापरवाही –
जिले में लगातार हो रही बारिश के चलते भोरमदेव में भी हालात खराब है यहां पर पुरातत्व विभाग की लापरवाही खुलकर सामने आई है भारी बारिश के कारण भोरमदेव मंदिर के गर्भगृह में छत से पानी टपक रहा है, जो मंदिर परिसर में वीडियो में सांप देखा जा सकता है। मंदिर के अंदर भी काफी पानी भरा हुआ है। इस वजह से कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है।
मंदिर समिति ने बताया कि यह समस्या मंदिर में पिछले 3 सालों से हैं, जिसकी शिकायत पुरातत्व विभाग से की गई, लेकिन अब तक इसका कोई हल नहीं निकल सका। पुरातत्व विभाग ना तो खुद ही इसके मरम्मत का काम करता है और ना ही किसी को करने की अनुमति देता है यदि ऐसी स्थिति बनी रही तो कभी भी बड़ी दुर्घटना हो सकती है।
बड़ी घटना का इंतजार –
भोरमदेव के आशीर्वाद से कई लोग राजनेता और अधिकारी बन गए जब यहां पर भोरमदेव महोत्सव का आयोजन किया जाता है तो जनप्रतिनिधि फ्रंट सीट पर परिवार के साथ नजर आते हैं। पर आज जब इस मंदिर को मरम्मत की आवश्यकता है तो कोई सुध लेने वाला नहीं है। किसी का ध्यान परेशानी पर नहीं गया। नेता मंत्री भी केवल भगवान के दर्शन के लिए आते हैं। असल समस्या जो है उसका समाधान किसी ने नहीं किया। यहां हालात है दिन ब दिन बदत्तर हो रहे हैं। पुरातत्व विभाग या फिर जिला प्रशासन किसी बड़ी घटना का इंतजार कर रही है।