कबीरधाम। भाई-बहन के अटूट स्नेह का पर्व रक्षाबंधन गुरुवार को हर्ष उल्लास और परंपरा पूर्वक मनाया गया। वही, हर साल की तरह सावन पूर्णिमा की तिथि पर बहनों ने रक्षा सूत्र भाइयों की कलाइयां सजाई।
रेशम की डोरी के धागे भले ही कच्चे हो लेकिन इसके पीछे का स्नेह अटूट और बेहद मजबूत होता है। बहन-भाई के प्यार का प्रतिक इस त्योहार को लेकर घर-घर में व्यापक तैयारियां की गई थी। गुरुवार की सुबह लोगों ने स्नान कर देवी देवताओं की पूजा अर्चना की। इसके बाद बहनों ने भाइयों की कलाई में रक्षा सूत्र बांधकर जन्म जन्म तक सुख-दु:ख में साथ निभाने का वचन भाईयों से लिया।
सुबह से ही तैयारियों में जुटी रही बहने –
वहीं, भाईयों ने भी बहनों को उपहार देकर हमेशा साथ निभाने का वादा किया। इस दौरान मुंह मीठा करने का दौर भी जारी रहा। घर के बूढ़े-बुजुर्गों का पैर छुकर आशिर्वाद लिया। दोपहर में अधिकांश बहनों ने भाई की कलाई पर राखी सजाई, उपहार पाकर अपनों के साथ खुशियां मनाई। इन्हीं भावनाओं के साथ सुबह से ही तैयारी कर रही बहनों ने भाइयों के हाथों में राखियां बांधी।
भारतीय हिंदू संस्कृति में भाई बहन के रिश्ते का बेहद महत्व –
भारतीय हिंदू संस्कृति में सभी रिश्तो को महत्व देने के लिए कई पर्व मनाए जाते हैं। भाई दूज के साथ रक्षाबंधन का पर्व भाई और बहन के अनूठे संबंध को और गहरा करने का पर्व है। भारत में रक्षाबंधन को लेकर पौराणिक और ऐतिहासिक परंपरा रही है। कहा जाता है कि असुर देवता संग्राम में इंद्र को उनकी पत्नी इंद्राणी ने अभिमंत्रित रेशम का धागा बांधा था, जिसकी शक्ति से वे विजयी हुए। वही भगवान श्रीकृष्ण को द्रौपदी ने उनके घायल उंगली में साड़ी की पट्टी बांधने को भी रक्षाबंधन से जोड़कर देखा जाता है।
रक्षा का वचन देकर भाइयों ने दिए उपहार –
उसी परंपरा का पालन करते हुए इस गुरुवार को बहनों ने सुबह से उपवास रखकर स्नान और श्रृंगार किया। खुद सज धज कर बहनों ने थाल सजाई, जिसमें राखी के साथ रोली, हल्दी, चावल दीपक, मिठाई आदि रखा गया। भाइयों को टीका लगाकर उनकी आरती उतारी गई व उनकी दाहिनी कलाई पर राखी बांधी गई। भाइयों ने रक्षा का वचन देते हुए बहनों को उपहार प्रदान किए। छोटे-छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक में रक्षाबंधन को लेकर एक सा उत्साह नजर आया। तमाम आधुनिकताओं के बावजूद आज भी भारतीय परंपराओं पर अटूट विश्वास की झलक ऐसे ही पर्व पर नजर आती है। सभी भाई वबहनों को वर्षभर इसकी प्रतीक्षा होती है।
स्वामिश्री अविमुक्तेश्वरानंद ने मुहूर्त पर फैले भ्रम को वीडियो जारी कर किया था दूर –
इस साल रक्षाबंधन मुहूर्त को लेकर लोग बड़े असमंजस में दिखे लेकिन स्वामिश्री अविमुक्तेश्वरानंद जी महाराज ने वीडियो जारी करके बताया कि कुछ लोग 11 और 12 अगस्त अंग्रेजी दिनांक के अनुसार रक्षाबंधन के मुहूर्त में परेशान हो रहे हैं, लेकिन तिथि के अनुसार 11 अगस्त रात 9:00 बजे के बाद रक्षाबंधन का मुहूर्त है। इससे पहले भद्रा होगा। भद्रा में रक्षा सूत्र नहीं बांधना चाहिए आप सभी रात 9 बजे के बाद रक्षाबंधन का त्यौहार मना सकते हैं। ऐसा कहीं नहीं है कि रात को रक्षासूत्र नहीं बांधी जाती। वही दूसरे दिन सुबह तिथि बहुत कम समय के लिए है और पूर्णिमा लग जाएगा।
स्वामिश्री के वीडियो जारी करने के बाद लोगों का असमंजस दूर हुआ और सभी ने रक्षाबंधन का यह त्यौहार बड़ी ही धूमधाम से मनाया।