दंतेवाड़ा। दंतेवाड़ा में दो दिन पहले पुलिस को जियाकोडता के जंगलों में एक नक्सली का शव के साथ हथियार बरामद हुआ था, जिसके बाद नक्सली की मौत कैसे हुई इस बात के कयास लगाए जा रहे थे। इसके बाद अब नक्सलियों ने कंमाडर मड़कम देवा की मौत जंगल में शिकार के लिए ग्रामीणों द्वारा लगाए गए करंट से होने की बात स्वीकारी है। दरअसल धान की फसल के समय नक्सली जंगली सुअर के शिकार के लिए जंगलों में करंट लगाकर इनका शिकार करते हैं, कई दफे इस करंट की चपेट में आकर ग्रामीणों की मौत भी हो चुकी है, महीने भर पहले दंतेवाड़ा के किरंदुल थाना क्षेत्र के मादाडी गांव का ग्रामीण भी ऐसे ही करंट के जाल में फंस गया था जिससे उसकी मौत हो गई थी।
साथियों ने छोड़ दिया पीछे
नक्सली कमांडर देवा पर आठ लाख का इनाम घोषित था, पुलिस को नक्सली का शव दो दिन पहले भुसारास और जियाकोडता के जंगलों के बीच लावारिस हालात में मिला था। अब एक बड़ा सवाल भी है कि क्या जिस वक्त नक्सली मड़कम देवा जंगल में करंट की चपेट में आया था, उस वक्त क्या उसके साथ नक्सलियों ने उसे बचाने का प्रयास नहीं किया या फिर इस करंट की चपेट में आकर और भी नक्सली घायल हुए होंगे। पहली बार नक्सली अपने साथी के मौत के बाद हथियार के साथ उसको मौके पर छोड़ कर चले गए थे।
2017 से नक्सल संगठन से जुड़ा था मड़कम
नक्सलियों ने प्रेस नोट में लिखा है कि मड़कम देवा 2017 से नक्सल संगठन से जुड़ा था, जो सुकमा जिले के छिंदगढ़ ब्लाक के कुन्नाा गांव का रहने वाला था, नक्सलियों ने प्रेस नोट में लिखा है देवा संगठन के काम के लिए जाते समय करंट की चपेट में आ गया था।
कैसे लगाते हैं करंट
ग्रामीण जंगलों से एक गांव से दूसरे गांव जाने वाली इलेवन केबी लाइन में बिल्डिंगों में इस्तेमाल किए जाने वाली तार के सहारे जंगल में करंट दौड़ा देते हैं। अक्सर शाम होते ही करंट लगाई जाती है और शिकारी सुबह मेन लाइन से कनेक्शन हटा देते हैं।