
रायपुर। छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, कर्नाटक, एवं हिमाचल प्रदेश की कुछ जातियों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने के उद्देश्य से लोकसभा में संविधान आदेश 1950 में संशोधन करने वाले चार विधेयक पेश किये गये, जिसमें अधिकारों से वंचित पांच राज्यों से जुड़ी करीब डेढ़ दर्जन जनजातियों को मोदी सरकार ने एक बड़ा तोहफा दिया है। इन जातियों को अब अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिलेगा। इसके साथ ही वह इससे जुड़े सभी तरह का लाभ भी ले सकेंगे। फिलहाल अनुसूचित जनजाति में जिन जनजातियों को शामिल करने का फैसला लिया गया है, उनमें बिन्जियाह समेत 12 जातियां छत्तीसगढ़ की हैं।
कैबिनेट में लिए गए फैसले की जानकारी देते हुए केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर और केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा ने बताया कि पांच राज्यों की जिन जातियों को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने का फैसला लिया गया है, उनमें छत्तीसगढ़ की 12 जातियां हैं। इनमें भूईंया, भूईयां, भूयां, भरिया भी शामिल इनमें भारिया भूमिया के पर्याय के रूप में भूईंया, भूईयां, भूयां, भरिया को शामिल किया गया है। वहीं पांडो के साथ पंडो, पण्डो, पन्डो को व धनवार के पर्याय के रूप में धनुहार, धनुवा को, गदबा, गोंड के साथ गोंड़ को, कोंध के साथ कोंद, कोडाकू व कोड़ाकू को, नगेसिया और नागासिया के पर्याय के रूप में आदि जातियों को शामिल किया है।