बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में आरक्षण को लेकर राज्यसरकार और राजभवन के बीच चल रहे घमासान के बीच हाईकोर्ट ने राज्यपाल सचिवालय को नोटिस जारी कर दिया है। बता दें कि आरक्षण के मामले में सामाजिक कार्यकर्ता व अधिवक्ता के साथ ही राज्य सरकार ने भी याचिका दायर की है।
आज सोमवार को आरक्षण के मामले में सरकार की ओर से अपना तर्क रखते हुए सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि राज्यपाल को सीधे तौर पर विधेयक को रोकने का कोई अधिकार नहीं है।
आरक्षण के मुद्दे पर चली लंबी बहस के बाद हाईकोर्ट की जस्टिस रजनी दुबे ने राज्यपाल सचिवालय को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। बता दें कि राज्य सरकार ने दो महीने पहले विधानसभा के विशेष सत्र में राज्य में विभिन्न वर्गों के आरक्षण को बढ़ा दिया था।
इसके बाद छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जनजाति के लिए 32 फीसदी, ओबीसी के लिए 27 फीसदी, अनुसूचित जाति के लिए 13 फीसदी और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 4 फीसदी आरक्षण कर दिया गया। इस विधेयक को राज्यपाल के पास स्वीकृति के लिए भेजा गया था।
राज्यपाल अनुसूईया उइके ने फिलहाल इसे स्वीकृत करने से इंकार कर दिया है। साथ ही आरक्षण की फाइल भी उन्हीं के पास है। राज्य सरकार ने इस मामले याचिका दायर की थी इसमें कहा गया है कि राज्यपाल को विधानसभा में पारित किसी भी बिल को रोकने का अधिकार नहीं है।