दीपका ओसी विस्तार परियोजना का 40 मिलियन टन उत्पादन बढ़ाने जनसुनवाई में आरोप प्रत्यारोप के साथ कई लोगो ने दर्ज कराई आपत्ति
एसईसीएल के गुणगान पर लोगों ने आपत्ति, जनसुनवाई कार्रवाई कुछ देर रुकी
भूविस्थापितों के हितों की अनदेखी, कॉलोनियों में उड़ते कोल डस्ट का छाया रहा मुद्दा
गेवरा-दीपका @सुशील तिवारी
40 मिलियन टन तक कोयला उत्पादन बढ़ाने की योजना से एसईसीएल दीपका ओसी विस्तार नीति को लेकर आज 9 जून शुक्रवार को पर्यावरणीय स्वीकृति को लेकर आयोजित जनसुनवाई का पुरजोर तरीके से कई लोगो ने विरोध किया। जनप्रतिनिधियों के साथ कई पर्यावरण विद व अन्य लोगों ने आपत्तियां दर्ज कराई है। मगर प्रबंधन का दावा है कि अधिकांश आपत्तियों में भूविस्थापितों के हित संबंधी मांगाें को दर्शाते विस्तार नीति को समर्थन भी दिया है।
40 मिलियन टन ओसी खदान विस्तार को लेकर लाेगों की सहमति प्राप्त करने दीपका में जनसुनवाई आज सुबह 11 बजे विरोध के बीच आपत्तियां दर्ज कराई गई।
श्रमिक संगठन के जनप्रतिनिधि, छत्तीसगढ़ किसान सभा, मजदूर इंटक कांग्रेस, भूविस्थापित रोजगार एकता संघ, भूविस्थापित किसान कल्याण समिति, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ,छात्र नेताओं के पदाधिकारियों ने भूविस्थापितों के हितों की अनदेखी व कोल डस्ट उड़ने से बढ़ते प्रदूषण की वजह से क्षेत्र की स्थिति और गिरते जलस्तर की ओर ध्यान आकृष्ठ कराकर विरोध जताया।
इधर एक श्रमिक संगठन के जनप्रतिनिधि के द्वारा प्रबंधन के गुणगान गाथा पर व्याख्यान पर लोगों का गुस्सा आ गया लोगो ने उससे माइक छीनने जोर जोर से चिल्लाने लगे इस दौरान कुछ देर के लिए जनसुनवाई रोकना पड़ा।एसईसीएल प्रबंधन की मनमानी के खिलाफ इन संगठनों का आक्रोश भी नजर आया। भूविस्थापित संगठनों के विरोध की चेतावनी के बाद यहां पर पुलिस सीआईएसएफ की चाक-चौबंद व्यवस्था रही। बड़ी संख्या में महिला पुलिस बल भी तैनात रही।
क्षमता विस्तार को लेकर आयोजित जनसुनवाई में भूविस्थापितों ने आपत्ति दर्ज कराई। जन सुनवाई के दौरान एक भी भूविस्थापित पीड़ित ने कहा की मेरे घर के फर्जी पट्टे में दूसरे व्यक्ति को नौकरी दी गयी है उसे बेदखल कर न्याय दिलाने की मांग किया उसके आवेदन में लिखित में कार्यवाही नहीं देने पर मंच नहीं छोड़ने की बात कही, तब SECL के अधिकारी हरकत आये और उसके आवेदन को लिखित में पावती दिया।
विरोध प्रदर्शन को देखते हुए प्रशासन व पुलिस के अधिकारी पूरे समय अलर्ट मोड पर रहे।कालोनी में उड़ते कोल्डेस्ट का मुद्दा छाया रहा
उड़ते कोल डस्ट से क्षेत्रवासियों को निजात दिलाने कंपनी प्रबंधन के गंभीरता नहीं दिखाने का कई जनों ने आरोप लगाया । जनसुनवाई एसईसीएल प्रबंधन से विभिन्न संगठनों की ओर से पूछा कि 40 मिलियन टन तक उत्पादन क्षमता बढ़ेगी तो जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचेगा, प्रभावित गांवों के लोगों को बेदखल किए जाने से कोल इंडिया की नई पॉलिसी से रोजगार से वंचित भूविस्थापितों का अहित होने पर उसकी भरपाई किस तरह होगी। कंपनी प्रबंधन की गुमराह किए जाने की हर बार की नीति नहीं चलने देने की बात कही।
मंच पर अपर कलेक्टर विजेन्द्र पाटले, पाली एसडीएम शिव कुमार बनर्जी, पर्यावरण अधिकारी शैलेष पिस्दा समेत एसईसीएल गेवरा के अधिकारी मौजूद रहे।