रायपुर। भाजपा कार्यालय एकात्म परिसर में आायोजित प्रेस वार्ता में प्रदेश भाजपा मीडिया प्रभारी अमित चिमनानी ने आरोप लगाया कि स्वास्थ्यकर्मियों से राज्य की कांग्रेस सरकार ने घोषणापत्र में जो वादे किए थे उनमें एक भी पूरा नहीं किया।
स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत स्वास्थ्यकर्मी वेतन विसंगति सुधारने, मुख्यमंत्री व स्वास्थ्य मंत्री द्वारा कोविड कार्य में लगे अमले को विशेष कोरोना भत्ता देने और रिक्त पदों पर भर्ती जैसे मांगों को लेकर आंदोलनरत हैं। इस आंदोलन में 12 संगठन के अधिकारी-कर्मचारी शामिल हैं। इनमें पोस्टमार्टम, एमएलसी, नर्सिंग सहित टीकाकरण के प्रमुख राष्ट्रीय कार्यक्रम मिशन इंद्रधनुष और शिशु संरक्षण जैसे कार्य प्रभावित हो रहे हैं। भाजपा ने राज्य सरकार से छह प्रश्न भी पूछे हैं।
भाजपा ने पूछे छह सवाल –
1. यूनिवर्सल हेल्थ केयर स्कीम प्रदेश में कहीं भी नजर क्यों नहीं आ रही है?
2. गंभीर बीमारियों के लिए प्रदेश में कितने उच्चतम श्रेणी के चिकित्सक नियुक्त किए गए?
3. सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में पर्याप्त चिकित्सकों, नर्सों और स्वास्थ्यकर्मियों की भर्ती कब की जाएगी?
4. सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के नजदीक ही कार्यरत स्टाफ के लिए आवास कब बनेगा ?
5. छह मेडिकल कॉलेजों को मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल में बदलने के वादे पर क्या हुआ?
6. बस्तर, सरगुजा और सुपेबेड़ा व अन्य दुर्गम क्षेत्रों में हवाई एंबुलेंस सेवा प्रदान करने के वादे का क्या हुआ?
रमन सरकार में 20वे नंबर पर थी स्वास्थ्य व्यवस्था : कांग्रेस –
भाजपा की प्रेस वार्ता पर कांग्रेस ने प्रतिक्रिया व्यक्त की है। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार विशेष स्वास्थ्य सहायता योजना में जटिल और गंभीर रोगों के इलाज के लिए 25 लाख रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान करती है। छत्तीसगढ़ के बाद राजस्थान की सरकार ये सुविधा देती है, जो किसी भी भाजपा शासित राज्य नहीं दी जाती है। रमन सरकार के दौरान छत्तीसगढ़ की स्वास्थ्य व्यवस्थाएं आक्सीजन में थी, देश के 21 राज्यों में छत्तीसगढ़ की स्वास्थ्य व्यवस्था 20वें नंबर पर थी। बस्तर में मलेरिया, डायरिया जैसे बीमारी में लोगों की मौत हो जाती थी।