बिलासपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आरक्षण और जातिगत जनगणना के मुद्दे को फिर उछाल दिया है। प्रधानमंत्री को इस संबंध में पत्र लिखकर स्थिति साफ करने कहा है। सीएम बघेल ने मंगलवार को पत्रकारों से चर्चा करते हुए केंद्र सरकार और भाजपा को आरक्षण विरोधी करार दिया है।
पूर्व विधानसभाध्यक्ष व राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य धरमलाल कौशिक ने मुख्यमंत्री पर तंज कसते हुए कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जब से सीएम बने हैं एक ही काम बखूबी कर रहे हैं। प्रधानमंत्री को पत्र लिखना और अपनी जवाबदारी से चालाकी के साथ बचना। प्रदेश की जनता सबकुछ देख सुन और समझ रही है। जो जिम्मेदारी मिली है उसे वे निभा नहीं पाए। पत्र की राजनीति में पूरे पांच साल बिता दिया। हाथ में गंगाजल लेकर कसमें खाई,विधानसभा में संकल्प लिया। एक भी वायदे पूरे नहीं कर पाए।
तीन महीने बाद छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव होना है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ईडी और आइटी के बाद अब आरक्षण के मुद्दे को एक बार फिर उछाल दिया है। मंगलवार को संकल्प शिविर में शामिल होने बिलासपुर पहुंचे सीएम बघेल ने कहा कि हमने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर आरक्षण को लेकर स्थिति स्पष्ट करने की मांग की है।
थोड़ी देर चुप रहे फिर खुद ही जवाब दिया और बोले हमें नहीं लगता कि केंद्र सरकार की तरफ से कोई सकारात्मक पहल होगी। बिहार में जातिगत जनगणना के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार के अटार्नी जनरल तुषार मेहता ने विरोध किया है। इसका मतलब साफ है कि केंद्र सरकार यह सब नहीं चाहती। इससे यह भी साफ हो रहा है कि केंद्र की भाजपा सरकार आरक्षण विराेधी है।
सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि विधानसभा में हम लोगों ने आरक्षण बिल लाया है। इसमें 32 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति, 13 प्रतिशतअनुसूचित जाति, 27 प्रतिशत अन्य पिछड़ा वर्ग और चार प्रतिशत ईडब्ल्यूएस के लिए आरक्षण की व्यवस्था की है। सब मिलाकर राज्य में 76 फीसद आरक्षण व्यवस्था लागू करने का प्रस्ताव पारित किया था।
हमने बिल दो दिसंबर से पारित किया है लेकिन अभी तक राजभवन से स्वीकृति नहीं मिली है। सीएम ने कहा कि बिहार में जातिगत जनगणना किया जा रहा है उसका सुप्रीम कोर्ट मे केंद्र सरकार के अटार्नी जनरल तुषार मेहता विरोध कर रहे हैं। भाजपा सही मायने में आरक्षण का विरोधी है। तभी तो रेलवे में भर्ती नहीं निकल रहा है। सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को बेचा जा रहा है।
एसईसीएल व एनएमडीसी के स्वामित्व वालेखदानों को निजी हाथों में सौंपा जा रहा है। सारे सार्वजनिक उपक्रम को खत्म करने का काम किया जा रहा है। अगर सारे सरकारी उपक्रम निजी हाथों में जाएगा तो आरक्षण का लाभ छत्तीसगढ़ के युवाओं को कैसे और किस आधार पर मिलेगा। यह हम सबको सोचना होगा और इसके लिए लड़ाई लड़नी पड़ेगी।
कांग्रेस में दावेदारी के लिए आवेदन लेने और दावेदारों की बढ़ती संख्या को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में सीएम ने कहा कि हमने बीते विधानसभा चुनाव में भी आवेदन लिया था। जीतने वाले उम्मीदवार को टिकट मिलती है। यह हम सबने देखा है। इसमें विरोध जैसी कोई बात नहीं है। यह तो पीसीसी की व्यवस्था है। ब्लाक से पांच दावेदारों का नाम जाएग इसके बाद जिलाध्यक्ष तीन नामों का पैनल बनाकर भेजेंगे। पहले पीसीसी की बैठक और फिर स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक होगी। उम्मीदवारों का अंतिम फैसला केंद्रीय चुनाव समिति में होगा।