कबीरधाम। छत्तीसगढ़ में चुनावी शंखनाद हो गया हैं। भाजपा और कांग्रेस एक बार फिर आमने सामने हैं। तो वही कार्यकर्ता अपने अपने पार्टियो से टिकिट की दावेदारी कर रहे हैं। साथ ही प्रमुख राजनीतिक दल प्रदेशभर के विधानसभा में अलग-अलग तरीके से सर्वे करवा रहे है ताकि जनता के अनुरूप प्रत्याशी को मैदान में उतार सके, जिसे जनता सहर्ष स्वीकार कर उसके पक्ष में मतदान कर सके।
सर्वे रिपोर्ट सोशल मीडिया पर वायरल –
इसके साथ ही कई मीडिया चैनल और प्रतिष्ठित अखबार भी अपने स्तर पर सर्वे के बाद रिपोर्ट जारी कर चुके हैं। इन दिनों दैनिक भास्कर की सर्वे रिपोर्ट सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही हैं, जिसमें पंडरिया विधानसभा में प्रत्याशियों के नाम पर कितने लोगों ने अपनी सहमति प्रदान की है, यह बताया गया हैं।
कांग्रेस का रिपोर्ट कार्ड –
बताते चले कि सर्वे रिपोर्ट के आधार पर वर्तमान कांग्रेस से विधायक ममता चन्द्राकर को सिर्फ 22% लोग पुनः विधायक के रूप में देखना चाहते है। मतलब ममता चंद्राकार को पार्टी यदि टिकट देती हैं तो उनका पत्ता साफ नजर आ रहा हैं। मैडम चंद्रकार के लिए यह मंथन का समय हैं अन्यथा उनकी नईया लगभग डूबने के कगार पर हैं। ऐसा होना लाजमी भी हैं क्योंकि पिछले 5 सालों में उनके कार्यों से पंडरिया की जनता संतुष्ट नहीं हैं। कई बार विवाद का सामना मैडम चंद्राकार को करना पड़ा हैं। वही, विकास की बात करें तो स्वयं उनका गृहग्राम पीछे हैं तो पंडरिया के क्या कहने ?
दूसरा नाम कांग्रेस से पूर्व जिलाध्यक्ष नीलकंठ चन्द्रवंशी का हैं, जो अपने राजनीति के प्रारम्भ से तमाम तरह के स्थानीय चुनाव में विजयी रहे और उनके कार्यो को लोगों ने खूब सराहा भी हैं, जिसके फलस्वरूप पार्टी ने उन्हें जिला अध्यक्ष का दायित्व भी सौपा हैं, जो निर्विवाद सफल रहा और पद पर रहते हुए उन्होंने पार्टी हित पर कार्य करते हुए पूरे जिले में हर गांव-गांव जाकर लोगों को पार्टी से जोड़ा हैं। फलस्वरूप सर्वे में उन्हें 31% लोग विधायक के रूप में देखना चाहते है।
तीसरे पर पूर्व विधायक राजा योगेश्वर राज हैं। इन्होंने 2018 के चुनाव में कवर्धा से दावेदारी किया था, तब इन्हें पार्टी ने टिकिट नही दिया और सक्रिय राजनीति से दूर रहे थे। अब कवर्धा छोड़ पंडरिया में इनका नाम आ रहा हैं, जहां इन्हें सर्वे के आधार पर 17% लोग विधायक के रूप में देखना चाहते है। वही वर्तमान में कांग्रेस युवा नेता व साहू समाज से है इन्हें 19% प्रतिशत लोग विधायक के रूप में देखना चाहते। कुल मिलाकर कांग्रेस में पंडरिया विधानसभा में नीलकंठ चंद्रवंशी को प्रबल दावेदार सर्वे के हिसाब से दिखाई दे रहे है।
भाजपा का रिपोर्ट कार्ड –
भाजपा के कद्दावर नेता व पूर्व विधायक मोतीराम चन्द्रवंशी छात्र संघ से लेकर भाजपा के तमाम तरह के दायित्वों का निर्वहन करते आ रहे हैं, वे स्थानीय चुनाव में में भी जनप्रतिनिधि रहे व पार्टी में जिलाध्यक्ष का दायित्व भी पूर्व में निर्वहन कर चुके हैं। साथ में 2013 के चुनाव में पंडरिया से विधायक भी रहे, परन्तु 2018 के चुनाव में एन्टी इंकम्बेंसी का शिकार हो कर पराजित हुए। परन्तु क्षेत्र के लोगों ने बाद में समझा और फिर से एक बार उनके नामों की चर्चा क्षेत्र में होने लगी हैं, इन्हें सर्वे के आधार पर 12% लोग ही विधायक के रूप में देखना चाहते है।
भाजपा से दूसरा स्थान भावना बोहरा का हैं, जो खुद में एक ब्रांड हैं। भावना बोहरा भावना समाज सेवी संस्थान की संस्थापक है। यह संस्था क्षेत्र में लोगों को नि:शुल्क सेवा प्रदान कर रही है। कोरोना काल में लोगों के घर-घर तक राशन पहुँचना, दवा पहुँचना और भी ऐसे कई बखूबी कार्य भावना बोहरा ने किया हैं। वही सबसे बड़ा कार्य क्षेत्र महिलाओं को सशक्त करने के लिए हर गांव में असहाय महिलाओं को नि:शुल्क सिलाई मसीन देना, नर सेवा नारायण सेवा के भाव से क्षेत्र में नि:शुल्क एम्बुलेंस सेवा देना और छात्राओं को कॉलेज जाने के लिए हर गांव गांव में निशुल्क बस सेवा प्रारम्भ कर भावना बोहरा ने हर घर मे अपनी छाप छोड़ी है। वर्तमान में भावना बोहरा जिला पंचायत सदस्य व सभापति है व प्रदेश भाजपा महिलामोर्चा की मंत्री है। सर्वे के आधार भावना बोहरा को लोगों ने सबसे ज्यादा पसंद किया हैं। पंडरिया विधानसभा से 63% लोग विधायक के रूप में भावना बोहरा को देखना चाहते है।
तीसरे पर दिनेश चंद्रवंशी है, जो भाजपा के वरिष्ठ नेता है और वर्तमान में कवर्धा जनपद अध्यक्ष प्रतिनिधि है। इनकी पत्नी इंद्राणी चंद्रवंसी वर्तमान में जनपद अध्यक्ष है व कुर्मी समाज में इनकी अच्छी पकड़ है। इन्हें 12% लोग विधायक बनते हुए देखना चाहते है। चौथे पर भाजपा के वरिष्ठ नेता व साहु समाज से गोपाल साहू है, जिन्हें 6% लोग ही चाहते है यह विधायक बने।
अब बात सर्वे से हटकर –
अब बात सर्वे से हटकर करें तो पंडरिया से पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह या पूर्व सांसद अभिषेक सिंह की दावेदारी हो सकती है। सूत्रों की माने तो भाजपा में कवर्धा व पंडरिया विधानसभा को जातीय समीकरण के हिसाब से टिकट वितरण करते आयें परन्तु 2018 में यह समीकरण धाराशाही हो गया। वर्तमान में भी भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने जातीय समीकरण के आधार पर टिकिट देने का मांग कर रहे है व बारी बारी समाज प्रमुखों द्वारा बैठकें की जा रही है।
वही विपक्ष की राजनीति में दमदारी के साथ यदि किसी ने भाजपा के लिए मजबूती से काम किया है तो वह भावना बोहरा है। भावना के कार्यों के आधार पर लोग इन्हें विधायक देखना चाहते हैं। लोग चाहते है इन्हें टिकट मिले तो कांग्रेस के प्रत्याशी का जमानत जप्त करा देंगे। परन्तु जो भाजपा नेता साहू समाज व कुर्मी समाज से आते है वे सब विरोध में खड़े है और पार्टी क्षेत्र साहू व कुर्मी वोटरों से भरा पड़ा है, जिसका विरोध का सामना मतदान के पश्चात परिणाम पर पड़ सकता है। वही यह भी खबर आ रही है यदि डॉ रमन सिंह लड़ेंगे या अभिषेक सिंह लड़ेंगे तो कोई भी नेता चाहे वह किसी भी समाज से हो कोई दावेदारी नही करेगा और सब एक होकर चुनाव लड़ेंगे।
बहरहाल, यह तो हुई सर्वे की बात अब देखना होगा कि पंडरिया में आखिर कांग्रेस और भाजपा किसे अपना उम्मीदवार बनाती हैं। यह निर्णय भी पार्टी को काफी सोच विचार के बाद लेना होगा। खैर टिकट को लेकर ताक लगाकर बैठे लोगों के चहरे भी देखने वाले हैं। कौन नाराज होगा और किसे पार्टी मना पाएगी यह वक्त बताएंगा। हमारा मानना है कि चेहरा ऐसा हो जनहित में कार्य करें।