
रायपुर, 29 अप्रैल 2025। छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड ने डिजिटल पारदर्शिता की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए देश का पहला ऐसा वक्फ बोर्ड बनने का गौरव प्राप्त किया है, जिसने अपनी सभी संपत्तियों का किराया वसूली प्रक्रिया अब पूरी तरह से ऑनलाइन कर दी है। वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. सलीम राज के निर्देश पर प्रदेश के सभी जिलों में मस्जिदों और मदरसों के बैंक खाते खोल दिए गए हैं, जिनमें अब सीधे किराया जमा किया जाएगा।
संपत्ति प्रबंधन में आएगा पारदर्शिता और नियंत्रण
बोर्ड के अधिकारियों के अनुसार, इस डिजिटल व्यवस्था का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि वक्फ संपत्तियों की सटीक निगरानी हो सके—कौन-सी संपत्ति कहां है, उससे कितना किराया प्राप्त हो रहा है, और उस राशि का उपयोग किस तरह से विकास कार्यों में किया जा रहा है। इस व्यवस्था से सम्पूर्ण जानकारी अब ऑनलाइन माध्यम में उपलब्ध होगी और पारदर्शिता के साथ-साथ जवाबदेही भी बढ़ेगी।
घोटालों से सबक, अब सख्त निगरानी
पूर्व में वक्फ बोर्ड की लगभग 500 करोड़ रुपये मूल्य की संपत्तियाँ अवैध कब्जों की भेंट चढ़ गई थीं, जिनमें तत्कालीन पदाधिकारियों की भूमिका पर गंभीर सवाल उठे थे। इस बार वक्फ बोर्ड ने इन अनुभवों से सबक लेते हुए राज्य सरकार और जिला प्रशासन को मामले की शिकायत दी है, ताकि पुराने मामलों की जांच तेज हो सके और दोबारा ऐसी स्थिति उत्पन्न न हो।
ऑनलाइन भुगतान अब अनिवार्य
बोर्ड द्वारा जारी नए दिशा-निर्देशों के तहत सभी जिलों में मस्जिदों और मदरसों के प्रबंधकों ने ऑनलाइन किराया भुगतान प्रणाली अपना ली है। अब सभी किरायेदारों को केवल डिजिटल माध्यम से ही भुगतान करना होगा, और किसी भी स्थिति में नकद या ऑफलाइन भुगतान स्वीकार नहीं किया जाएगा। साथ ही प्रत्येक माह मस्जिदों और मदरसों को अपने खर्च का विवरण बोर्ड को भेजना अनिवार्य कर दिया गया है।
केंद्र सरकार की टीम कर रही ऑडिट
वक्फ संशोधन विधेयक लागू होने के बाद केंद्र सरकार ने राज्यों में वक्फ संपत्तियों का व्यापक ऑडिट शुरू किया है। इसी क्रम में एक केंद्रीय टीम पिछले दो सप्ताह से छत्तीसगढ़ में जांच कर रही है। टीम विवादित संपत्तियों, उनकी आय, व्यय और वक्फ के तहत आने वाली परिसंपत्तियों का विस्तृत ब्यौरा तैयार कर रही है।
डिजिटल क्रांति से होगा संरक्षण और सुशासन
डॉ. सलीम राज ने कहा कि वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन, संरक्षण और सुशासन की दिशा में यह डिजिटल प्रणाली मील का पत्थर साबित होगी। यह कदम छत्तीसगढ़ को देशभर में एक उदाहरण के रूप में स्थापित करेगा।