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छत्तीसगढ़ बड़ी खबर : ED, EOW व ACB के खिलाफ दायर सभी 13 याचिका ख़ारिज

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में दो हजार करोड़ से अधिक के शराब घोटाले की जांच मामले में ED EOW व ACB की जांच को चुनौती देते हुए घोटाले में फंसे विधु गुप्ता, अनिल टूटेजा, अनवर ढेबर, निदेश पुरोहित, यश पुरोहित, अरुण पति त्रिपाठी और निरंजन दास ने अपने अधिवक्ताओं के माध्यम से हाई कोर्ट में अलग-अलग याचिका दायर की थी। सभी 13 याचिकाओं पर हाई कोर्ट में एकसाथ सुनवाई हो रही थी। हाई कोर्ट ने सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है। बता दें कि हाई कोर्ट ने सभी पक्षों की बहस सुनने के बाद 10 जुलाई को फ़ैसला सुरक्षित कर लिया था। कोर्ट ने मंगलवार को अपना फैसला सुनाया है।

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में दायर याचिकाओं में 6 याचिकाएं ED के खिलाफ, जबकि 7 याचिकाएं EOW व ACB के खिलाफ दायर की गई थी। याचिकाओं में दो हजार करोड़ रुपये के शराब घोटाला मामले में ED की पुनः की जा रही कार्यवाही और EOD व ACB की ओर से दर्ज FIR को चुनौती देते हुए उन्हें ख़ारिज करने की मांग की थी।

इन्हीं याचिकाओं की सुनवाई के दौरान एक याचिका में आइएएस अनिल टूटेजा को अंतरिम राहत दी थी। हाई कोर्ट में चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की बेंच ने इन याचिकाओं की सुनवाई की थी। हाईकोर्ट ने बीते 10 जुलाई को आदेश सुरक्षित रख लिया था, जिसे आज सार्वजनिक किया गया है।

छत्तीसगढ़ का शराब घोटाला कैसे हुआ उजागर –

छत्तीसगढ़ सरकार के करीबी अफसर IAS अनिल टुटेजा, उनके बेटे यश टुटेजा और CM सचिवालय की तत्कालीन उपसचिव सौम्या चौरसिया के खिलाफ IT विभाग ने दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में 11 मई, 2022 को याचिका दायर कर बताया कि छत्तीसगढ़ में रिश्वत, अवैध दलाली काे लेकर बेहिसाब पैसे का खेल चल रहा है।

ED ने अपने आरोप पत्र में इस बात का भी जिक्र किया कि रायपुर नगर निगम के महापौर एजाज ढेबर का भाई अनवर ढेबर अवैध वसूली करता है। दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में दायर याचिका के आधार पर ED ने 18 नवंबर, 2022 को PML Act के तहत मामला दर्ज किया। आयकर विभाग से मिले दस्तावेज के आधार पर ED ने अब तक की जांच, गिरफ्तार आरोपी से पूछताछ के बाद 2161 करोड़ के घोटाले की कोर्ट में पेश चार्जशीट में जिक्र किया है।

सिंडिकेट का प्रमुख सरगना अनवर –

ED ने अपनी चार्जशीट में बताया, किस तरह अनवर ढेबर ने आपराधिक सिंडिकेट के ज़रिये आबकारी विभाग में बड़े पैमाने पर घोटाले को अंजाम दिया। ED ने चार्जशीट में कहा है कि साल 2017 में आबकारी नीति में संशोधन कर CSMCL के ज़रिये शराब बेचने का प्रावधान किया गया। 2019 के बाद शराब घोटाले के किंगपिन अनवर ढेबर ने अरुणपति त्रिपाठी को CSMCL का MD नियुक्त कराया, उसके बाद अधिकारी, कारोबारी, राजनीतिक रसूख वाले लोगों के सिंडिकेट के ज़रिये करप्शन का बड़ा खेल खेला गया। जिससे 2161 करोड़ का घोटाला हुआ। . ED ने अपनी चार्जशीट में 3 स्तर का घोटाला बताते हुए इसे भाग A, B, C में बांटा है।

पार्ट A- CSMCL के MD अरुणपति त्रिपाठी को अपने पसंद के डिस्टिलर की शराब को परमिट करना था। देशी शराब के एक केस पर 75 रुपये कमीशन दिया जाना था, जिसे त्रिपाठी डिस्टिलर और सप्लायर से कमीशन लेकर एक्सेलशीट तैयार करता था। किससे कितना कमीशन आया, उसे अनवर ढेबर को दिया जाता था।

पार्ट B- अनवर ढेबर और अरुणपति त्रिपाठी के सिंडिकेट ने देशी शराब और अंग्रेजी शराब ब्रांड के होलोग्राम बनाकर बेहिसाब शराब CSMCL की दुकानों में बेचीं, जिससे सीधे तौर से राजस्व की राज्य को हानि हुई।

पार्ट C- डिस्टिलर और ट्रांसपोर्टर से एनुअल कमीशन शामिल है। आपराधिक सिंडिकेट के ज़रिये CSMCL की दुकानों में सिर्फ तीन ग्रुप की शराब बेची जाती थीं, जिनमें केडिया ग्रुप की शराब 52 प्रतिशत, भाटिया ग्रुप की 30 प्रतिशत और वेलकम ग्रुप की 18 प्रतिशत हिस्सा शामिल है।

Ashok Kumar Sahu

Editor, cgnewstime.com

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