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सुप्रीम कोर्ट ने SECL की याचिकाओं को किया खारिज , गरीब श्रमिकों की हुई जीत 40 साल के संघर्ष के बाद गरीब श्रमिकों को मिला न्याय, सर्वोच्च न्यायालय ने लगाई अंतिम मुहर- नाथूलाल पांडे केंद्रीय महामंत्री एचएमएस

सुप्रीम कोर्ट ने SECL की याचिकाओं को किया खारिज , गरीब श्रमिकों की हुई जीत

40 साल के संघर्ष के बाद गरीब श्रमिकों को मिला न्याय, सर्वोच्च न्यायालय ने लगाई अंतिम मुहर- नाथूलाल पांडे केंद्रीय महामंत्री एचएमएस

सुशील तिवारी 9926176119
03 सितंबर सुप्रीम कोर्ट ने साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (SECL) द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिकाओं (SLP) को खारिज कर दिया है। ये याचिकाएं छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के 21 अगस्त 2014 के फैसले के खिलाफ दायर की गई थीं, जिसमें श्रमिकों के पक्ष में निर्णय हुआ था। सर्वोच्च न्यायालय ने यह निर्णय देते हुए कहा कि उच्च न्यायालय के फैसले में कोई त्रुटि नहीं है जिससे हस्तक्षेप करने की आवश्यकता हो।

न्यायाधीशों की पीठ ने SECL के तर्क खारिज किए

सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति पमिडिघंटम श्री नरसिम्हा और न्यायमूर्ति संदीप मेहता शामिल थे, ने SECL के वरिष्ठ वकील श्री अजीत कुमार सिन्हा के तर्कों को सुनने के बाद याचिकाओं पर विचार करने से इनकार कर दिया। अदालत ने अपने फैसले में स्पष्ट रूप से कहा कि उच्च न्यायालय के आदेश में कोई कानूनी खामी नहीं है और संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।

श्रमिकों को मिली ऐतिहासिक जीत- नाथूलाल

इस फैसले को कोयला मजदूर सभा एचएमएस के केंद्रीय महामंत्री नाथू लाल पांडे ने श्रमिकों की ऐतिहासिक जीत बताया। उन्होंने कहा, “पिछले 40 सालों से गरीब श्रमिक अपनी हित की लड़ाई लड़ रहे थे, और अंततः उन्हें न्याय मिल गया है। SECL ने श्रमिकों को वर्षों तक अदालतों में उलझाए रखा, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अंततः उनकी पीड़ा को समाप्त कर दिया।”

SECL को कानूनी संघर्ष में झटका

SECL ने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें क्षेत्रीय श्रम आयुक्त (केंद्रीय) द्वारा श्रमिकों के पक्ष में दिए गए आदेश को सही ठहराया गया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने SECL की अपील खारिज करते हुए कहा कि श्रमिकों को उनके हक से वंचित नहीं किया जा सकता।
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि SECL इस मामले से संबंधित किसी अन्य दावे को ठेकेदार के खिलाफ अदालत में लाने के लिए स्वतंत्र है और यह फैसला उस अधिकार को प्रभावित नहीं करेगा।

श्रमिकों का लंबा संघर्ष

नाथू लाल पांडे ने दैनिक भास्कर के प्रतिनिधि सुशील तिवारी को बताया कि पिछले 40 सालों से यह मामला कोर्ट में लंबित था और वेरिफिकेशन के समय 174 श्रमिकों के नाम पंजीबद्ध थे, जिनमें से 147 बचे हैं। इतने वर्षों के लंबे कानूनी संघर्ष के बाद अब श्रमिकों को न्याय मिल सका है।

प्रमुख वकील और पक्षकार

SECL की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्री अजीत कुमार सिन्हा ने दलीलें पेश कीं, जबकि श्रमिकों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्री एसके गंगेले और अधिवक्ता श्री पृथ्वीराज चौहान ने मामले की पैरवी की।
मदन राजपूत

पूर्व सैनिक ENE कंपनी में पदस्थ रहे मदन राजपूत ने बताया

भूतपूर्व सैनिकों की कंपनी ई एन ई में काम करने वाले मदन राजपूत ने बताया कि मामले को लेकर लेबर कोर्ट जबलपुर में याचिका लगाई थी तब हमारे पक्ष में फैसला आया था इसके बाद SECL हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी लेकिन क्षेत्रीय श्रमायुक्त केंद्रीय के निर्णय को हाई कोर्ट में सही ठहराया इसे SECL ने फिर से सुप्रीम कोर्ट में अपील की जिसे 3 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया । श्री राजपूत आगे बताया कि जब काम से निकाला गया तो उस समय 160 कर्म चारी थे अब मात्र 120 लोग जीवित बचे है
sushil tiwari

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