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छत्तीसगढ़ बड़ी खबर : झारखंड शराब घोटाला में छ.ग. मॉडल की नकल, आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई तेज

रायपुर। झारखंड में कथित शराब घोटाला मामले में जांच एजेंसी ईओडब्ल्यू ने बड़ा खुलासा किया है। ईओडब्ल्यू ने बताया कि झारखंड में हुए शराब घोटाले की सारी योजना रायपुर में बनाई गई। जांच एजेंसी ने पूरे मामले में अनवर देबर, एपी त्रिपाठी, अनिल टुटेजा, अरविंद सिंह सहित सात लोगों को आरोपी बनाया है। आरोपियों में दो झारखंड उत्पाद विभाग के अधिकारी भी शामिल है।

झारखंड शराब घोटाला मामले में दर्ज प्राथमिक्की में ईओडब्ल्यू ने बताया कि राजधानी रायपुर में इस पूरे घोटाले की साजिश रची गई। ईओडब्ल्यू में दर्ज प्राथमिकी के अनुसार यह बैठक रायपुर में अनवर देबर के ठिकाने में की गई थी। इस दौरान एपी त्रिपाठी, अनिल टुटेजा, अरविंद सिंह सहित झारखंड के उत्पाद अधिकारी भी मौजूद थे।

ईओडब्ल्यू के अनुसार साल 2022 में झारखंड की शराब नीति में बदलाव किया गया था। राज्य की शराब नीति में बदलाव के पीछे सुमित कंपनी को फायदा पहुंचाने की कोशिश की गई थी। इससे राज्य सरकार को करोड़ों रुपए के राजस्व का नुकसान हुआ। ज्ञात हो कि छत्तीसगढ़ में यही कंपनी शराब ठेके का काम कर रही थीं। ईओडब्ल्यू ने इस मामले में एक आरोपी योगेन्द्र तिवारी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।

बता दे की झारखंड में भी छत्तीसगढ़ मॉडल के अनुसार शराब की बिक्री हो रही थी। जिसमें तत्कालीन छत्तीसगढ़ लिमिटेड के प्रबंध निदेशक एपी त्रिपाठी को सलाहकार नियुक्त किया गया था। वही शराब की बोतलों में होलोग्राम छापने के लिए प्रिज्म होलोग्राम एंड फिल्म सिक्यूरिटी लिमिटेड को ठेका मिला था। इसी तरह मैन पावर की सप्लाई का काम मेसर्स सुमित फैसिलिटीस लिमिटेड को मिला था। यह तीनों ही छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में आरोपी हैं।

इनके खिलाफ जांच में झारखंड का कनेक्शन जुड़ा था। हालांकि इन पर झारखंड में कार्यवाही हो चुकी है। मेसर्स ऑफ़ प्रिज्म पर ब्लैक लिस्ट लगाते हुए होलोग्राम छापने का कार्य बंद करा दिया गया है। दूसरी कंपनी मेसर्स सुमित फैसिलिटीस को राजस्व पूरा नहीं कर पाने की वजह से कंपनी की बैंक गारंटी को जब्त कर लिया गया था। वहीं झारखंड सरकार ने छत्तीसगढ़ स्टेट कारपोरेशन को सलाहकार से हटा दिया था।

छत्तीसगढ़ कांग्रेस सरकार में नकली होलोग्राम लगाकर पूरे राज्य में शराब की सप्लाई की गई थी। उसी तरह से झारखंड में शराब सप्लाई की बात कही गई है। आरोप है कि होलोग्राम लगातार शराब बेची गई है। इसका हिसाब भी नहीं है।

ईओडब्ल्यू में दर्ज प्राथमिक्की में बताया गया कि नीति में बदलाव कर एक कंपनी को फायदा दिलाने के लिए 11 करोड़ रुपये सुरक्षा निधि तय की गई थी। साथ ही 6 महीने में 200 करोड रुपए के टर्म ओवर की भी बात कही गई थी। वहीं शराब के होलसेल टेंडर में शामिल होने के लिए 25 लाख रुपए की राशि तय की गई थी। जो नन रिफंडेबल था।

Ashok Kumar Sahu

Editor, cgnewstime.com

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