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10 सालों में बेकार साबित हुआ दीपका का फुट ओवरब्रिज : करोड़ों की बर्बादी के बाद अब होगा डिस्मेंटल

गलत प्लानिंग के कारण अनुपयोगी साबित हुआ

10 सालों में बेकार साबित हुआ दीपका का फुट ओवरब्रिज : करोड़ों की बर्बादी के बाद अब होगा डिस्मेंटल

सुशील तिवारी@9926176119

दीपका कॉलोनी और प्रगति नगर कॉलोनी को जोड़ने के लिए करोड़ों की लागत से बने फुट ओवरब्रिज की उपयोगिता पिछले 10 वर्षों में बेहद नाकाम साबित हुई है। गलत योजना, कमजोर प्लानिंग और डिजाइन की खामियों ने इस प्रोजेक्ट को असफल बना दिया। अब इसे तोड़ने की तैयारी शुरू हो गई है।

2012 में एसईसीएल गेवरा क्षेत्र द्वारा करीब 1.42 करोड़ रुपये की लागत से यह प्रोजेक्ट शुरू किया गया था, जिसकी कीमत बढ़कर 1 करोड़ 75 लाख रुपये हो गई। 2015 में इसका निर्माण कार्य पूरा हुआ, लेकिन ब्रिज कभी भी आम नागरिकों के लिए उपयोगी साबित नहीं हुआ ।

स्थानीय निवासियों को असुविधा

कॉलोनी में बने इस ब्रिज ने निवासियों के वाहनों की आवाजाही को बाधित किया। कई स्थानों पर लोगों को घुटन और परेशानी महसूस हुई। लंबाई अधिक होने कारण लोग इसमें जाना पसंद नहीं करते थे। करोड़ों का FOB आखिरकार यह सफेद हाथी बन कर रह गया

असामाजिक गतिविधियां बना रहा हमेशा अड्डा

शाम और सुबह के समय यह ब्रिज धूम्रपान, मदिरापान और अन्य अनैतिक कार्यों का अड्डा बन गया था। युवा प्रेमी जोड़ों का ठिकाना बनने से आम लोगों ने इसका इस्तेमाल करना बंद कर दिया था

एफ ओ बी अब होगा डिस्मेंटल

एसईसीएल गेवरा क्षेत्र के महाप्रबंधक सिविल रवि चंद्रा ने कहा कि दीपका चौक से थाना चौक तक नए ओवरब्रिज का निर्माण किया जा रहा है। इसके लिए पुराने फुट ओवरब्रिज को डिस्मेंटल करने इसे तोड़ा जा रहा है।

इस परियोजना की असफलता न केवल धन का अपव्यय हुआ बल्कि यह प्रशासनिक लापरवाही और गलत प्लानिंग के कारण करोड़ों रुपये खर्च हो गए । यह ब्रिज जनता की सुविधा के बजाय असुविधा का कारण बना। जिसे आम जनता की उम्मीद टूट गई।

दीपका  का यह फुट ओवरब्रिज हमेशा अनुपयोगी साबित हुआ- पार्षद अरुणीश तिवारी

“नगर पालिका दीपका के पार्षद अरुणीश तिवारी ने बताया कि फुट ओवरब्रिज की यह कहानी बताती है कि विकास कार्यों में उचित योजना और समय पर क्रियान्वयन कितना महत्वपूर्ण है। अन्यथा ऐसे प्रोजेक्ट सिर्फ संसाधनों की बर्बादी और जनता के लिए बोझ बनकर रह जाते हैं। यह फुट ओवर ब्रिज सिर्फ सफेद हाथी बनकर रह गया जिसकी उपयोगिता कभी सिद्ध नहीं हुई जिसके निर्माण कार्य के समय भी सवाल उठाए गए थे।”-

sushil tiwari

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