कबीरधाम बड़ी खबर : श्री शिव महापुराण कथा व पंच कुंडीय रुद्र महायज्ञ के लिए भूमि पूजन संपन्न

कबीरधाम। शहर की सुख, समृद्धि और मंगल कामना के लिए आयोजित होने वाले पांच कुंडीय रुद्र महायज्ञ और श्री शिव महापुराण कथा का भूमि पूजन आज विधिवत संपन्न हुआ। यह महायज्ञ माघ कृष्ण पक्ष की एकम से अष्टमी तक, यानी 14 से 22 जनवरी 2025 तक शहर के सरदार पटेल मैदान में आयोजित होगा।
भूमि पूजन का आयोजन दंडी स्वामी श्रीमज्ज्योतिर्मायनाद: सरस्वती जी महाराज के पावन सानिध्य में किया गया। पूजन की विधि आचार्य पंडित रवि शास्त्री द्वारा संपन्न कराई गई। इस शुभ अवसर पर धर्मालंकार डॉ. पवन मिश्रा, साहू समाज के जिला अध्यक्ष पति राम साहू, ब्राह्मण समाज जिला अध्यक्ष बंटी तिवारी, नगर पालिका सभापति उमंग पांडे, विश्व हिन्दू परिषद जिला अध्यक्ष नंदलाल चंद्राकर जी, भाजपा जिला मंत्री मनोज कुमार ठाकुर, सह मंत्री सुखचैन चंद्रवंशी, कोषाध्यक्ष विष्णु ठाकुर, पालक प्रताप चंद्रवंशी, विष्णु पांडे, शीतल साहू, डॉक्टर गोवर्धन सिह ठाकुर, ओम प्रकाश शर्मा, आनंद उपाध्याय, रामकृपेश्वर उपाध्याय, हरिप्रसाद शुक्ला, मधु तिवारी, अजीत चंद्रवंशी, सुषमा चंद्रवंशी, नीतू शर्मा, अनुपम गुप्ता, नीरा यादव सहित सैकड़ो श्रद्धालु विशेष रूप से उपस्थित रहे।
इस आयोजन को लेकर कवर्धा में उत्साह का माहौल है। श्री शिव महापुराण कथा और महायज्ञ में पूरे शहर के सनातनी नागरिक सहभागिता करेंगे। आयोजन समिति का कहना है कि यह आयोजन कवर्धा की समृद्धि, शांति, और आध्यात्मिक उत्थान का प्रतीक बनेगा।
कार्यक्रम के दौरान श्रद्धालुओं ने शिव महापुराण के महत्व और महायज्ञ की दिव्यता पर चर्चा की। समिति के अनुसार, महायज्ञ का आयोजन अत्यंत भव्य और वृहद स्तर पर होगा, जिसमें आस्था, भक्ति और धार्मिक ऊर्जा का अद्भुत समागम देखने को मिलेगा।
कथा व महायज्ञ का मुख्य उद्देश्य –
इस आयोजन का उद्देश्य न केवल धर्म और आस्था को प्रबल करना है, बल्कि शहरवासियों के जीवन में सुख-शांति और समृद्धि लाना है। आयोजन समिति ने सभी नागरिकों से इस धार्मिक अनुष्ठान में भाग लेने की अपील की है, ताकि अधिक से अधिक लोग भगवान शिव की कृपा का अनुभव कर सकें।
कार्यक्रम का विशेष आह्वान –
आयोजन समिति ने बताया कि प्रतिदिन शिव महापुराण कथा के माध्यम से भगवान शिव की लीलाओं और शिक्षाओं का वर्णन किया जाएगा। महायज्ञ का समापन 22 जनवरी को हवन और पूर्णाहुति के साथ होगा।
कवर्धा के इस ऐतिहासिक आयोजन में श्रद्धालुओं की विशाल उपस्थिति और सामूहिक प्रार्थना निश्चित रूप से शहर के भविष्य को नई दिशा देगी।