रायपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत 27 दिसंबर से छह दिवसीय प्रवास पर छत्तीसगढ़ पहुंच रहे हैं। उनका यह दौरा संगठनात्मक कार्यों की समीक्षा और आगामी शताब्दी वर्ष की तैयारियों को लेकर बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
शताब्दी वर्ष की तैयारियों पर फोकस
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ 2025 में अपनी स्थापना के 100 वर्ष पूरे करेगा। इस अवसर पर देशभर में व्यापक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। डॉ. मोहन भागवत के छत्तीसगढ़ प्रवास का मुख्य उद्देश्य इन्हीं कार्यक्रमों की योजना और कार्यान्वयन को अंतिम रूप देना है।
प्रवास कार्यक्रम
डॉ. भागवत 27 दिसंबर को रायपुर पहुंचेंगे और 1 जनवरी को दिल्ली के लिए रवाना होंगे। इस दौरान वे संगठन के वरिष्ठ अधिकारियों, कार्यकर्ताओं और स्वयंसेवकों के साथ अलग-अलग सत्रों में बैठक करेंगे। इन बैठकों में संगठन के कार्यों के विस्तार, पंच परिवर्तन के लक्ष्यों, और ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में शाखाओं की पहुंच पर चर्चा की जाएगी।
संगठनात्मक बैठकों का दौर
प्रवास के दौरान सरसंघचालक मोहन भागवत टोली बैठक, सांय-प्रातः शाखाओं में भाग लेंगे। इसके अलावा, संगठन के विस्तार और स्वयंसेवकों के गुणात्मक विकास पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। संघ का लक्ष्य है कि शताब्दी वर्ष तक हर गांव और हर शहरी क्षेत्र में शाखाएं सक्रिय हों।
पंच परिवर्तन पर विशेष जोर
शताब्दी वर्ष के कार्यक्रमों में पंच परिवर्तन (व्यक्ति, परिवार, समाज, आर्थिक और पर्यावरण परिवर्तन) पर विशेष जोर दिया जाएगा। प्रवास के दौरान इन बिंदुओं पर कार्यकर्ताओं को दिशा-निर्देश दिए जाएंगे।
छत्तीसगढ़ में संघ कार्य को मिलेगी नई गति
आरएसएस प्रमुख के इस प्रवास से छत्तीसगढ़ में संघ के संगठनात्मक कार्यों को नई दिशा और गति मिलने की उम्मीद है। यह प्रवास न केवल संघ कार्यकर्ताओं के लिए प्रेरणादायक होगा, बल्कि राज्य में संघ की पहुंच को भी मजबूत करेगा।
डॉ. मोहन भागवत का यह प्रवास संघ के सौ वर्ष पूरे होने के ऐतिहासिक मौके पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा और संगठन को नए आयाम प्रदान करेगा।