रायपुर: छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में नक्सलवाद की जड़ें अब धीरे-धीरे कमजोर हो रही हैं। लंबे समय से बंदूक की शक्ति के बल पर इलाके में आतंक फैलाने और सुरक्षाबलों पर हमले करने वाले नक्सली अब कानून के दायरे में आने को मजबूर हो रहे हैं। केंद्रीय सरकार की नक्सल मुक्त अभियान ने हाल के दिनों में शानदार सफलता प्राप्त की है।
सुरक्षाबलों की कार्रवाई से नक्सलियों का सफाया
19 जनवरी से 20 फरवरी तक चले एक बड़े एनकाउंटर अभियान में सुरक्षाबलों ने 24 नक्सलियों को मार गिराया, जबकि इससे पहले बीजापुर में 10 नक्सलियों का सफाया किया गया। वर्ष 2025 की शुरुआत के मात्र 21 दिनों में 48 नक्सलियों का खात्मा किया गया है, जिसका मतलब है कि सुरक्षाबल प्रतिदिन दो से अधिक नक्सलियों को मार रहे हैं।
सरकार की रणनीति: नक्सलवादियों को मुख्यधारा में लाना या फिर परिणाम भुगतने होंगे
केंद्र सरकार ने नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन को और तेज कर दिया है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 2023 में 50 और 2024 में 290 नक्सलियों को सुरक्षाबलों ने मुठभेड़ में मार गिराया। वहीं, 2025 में 21 जनवरी तक अब तक 48 नक्सलियों का सफाया किया जा चुका है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने स्पष्ट रूप से कहा है कि नक्सलवादी अगर मुख्यधारा में नहीं आएंगे तो उन्हें कड़ी सजा का सामना करना होगा।
88 नए सुरक्षा कैंपों का गठन
नक्सलवादियों के खिलाफ जारी इस मुहिम के तहत सरकार ने सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए 2025 में 88 नए कैंपों की स्थापना का फैसला लिया है। इससे पहले 2019 तक 290 सुरक्षा कैंप लगाए गए थे और 2024 में 58 नए कैंप स्थापित किए गए थे। इन कैंपों के माध्यम से नक्सल प्रभावित इलाकों में सुरक्षा की स्थिति और मजबूत की जाएगी।
बस्तर को 2026 तक नक्सल मुक्त बनाने का लक्ष्य
सरकार का उद्देश्य है कि बस्तर को 2026 तक नक्सल मुक्त किया जाए। इसके लिए सुरक्षाबलों के कैंपों की संख्या बढ़ाई जा रही है, साथ ही इन क्षेत्रों में विकास कार्यों को भी गति दी जा रही है, ताकि नक्सलवाद फिर से पनप न सके। हाल ही में एक करोड़ के इनामी नक्सली के मारे जाने के साथ ही सरकार की नक्सलवाद के खिलाफ यह ऑपरेशन और भी तेज हो गया है।
सरकार का दावा है कि बस्तर और अन्य नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में जल्द ही विकास और सुरक्षा के साथ शांति का माहौल स्थापित होगा।