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छत्तीसगढ़ बड़ी खबर : पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा की न्यायिक हिरासत 4 मार्च तक बढ़ी

छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा की न्यायिक हिरासत 4 मार्च तक बढ़ा दी गई है। रायपुर स्थित ईडी (ED) की स्पेशल कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई के बाद यह फैसला सुनाया। लखमा की ओर से विधानसभा सत्र में भाग लेने के लिए कोर्ट में अर्जी दी गई थी, जिस पर 20 फरवरी को फैसला आएगा।

कोर्ट में क्या हुआ?

मंगलवार को कवासी लखमा को रायपुर स्थित ईडी की स्पेशल कोर्ट में पेश किया गया। इस दौरान उन्होंने जज से विधानसभा सत्र में शामिल होने की अनुमति मांगी। उनके वकील फैजल रिजवी ने इस संबंध में कोर्ट में आवेदन भी दायर किया।

ईडी के वकील सौरभ पांडे ने लखमा की अर्जी पर आपत्ति जताते हुए कहा कि विधानसभा में किसी तरह की वोटिंग या विशेष प्रश्नोत्तर सत्र की स्थिति नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि राज्यपाल की ओर से लखमा को विधानसभा में भाग लेने के लिए कोई अनुमति पत्र नहीं भेजा गया है। इस पर कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया, जो 20 फरवरी को सुनाया जाएगा।

शराब घोटाले में कवासी लखमा की भूमिका

ईडी का आरोप है कि कवासी लखमा शराब सिंडिकेट का अहम हिस्सा थे और उनके निर्देश पर ही यह नेटवर्क संचालित होता था। जांच एजेंसी का दावा है कि लखमा को आबकारी विभाग में हो रही अनियमितताओं की जानकारी थी, लेकिन उन्होंने इसे रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाया।

ईडी के अनुसार, 2019 से 2022 के बीच चले शराब घोटाले में सरकार को भारी नुकसान हुआ, जबकि सिंडिकेट के सदस्यों ने 2,100 करोड़ रुपये से अधिक की अवैध कमाई की।

लखमा पर लगे गंभीर आरोप

ईडी की जांच के अनुसार :

हर महीने 2 करोड़ रुपये कमीशन के रूप में लखमा को मिलते थे।
तीन सालों में 72 करोड़ रुपये उन्हें प्राप्त हुए।
इस रकम का उपयोग उनके बेटे हरीश कवासी के घर के निर्माण और कांग्रेस भवन, सुकमा के निर्माण में किया गया।
शराब नीति में बदलाव कर FL-10A लाइसेंस लागू कराया, जिससे शराब माफियाओं को फायदा हुआ।
नकली होलोग्राम के जरिए 40 लाख से अधिक शराब पेटियां बेची गईं, जिससे सिंडिकेट को 1,660 करोड़ रुपये से अधिक का लाभ हुआ।

कैसे हुआ घोटाला ?

ईडी के मुताबिक, घोटाले की रकम 2,161 करोड़ रुपये आंकी गई है। घोटाले को तीन चरणों में अंजाम दिया गया :

डिस्टिलर्स से रिश्वत लेकर शराब की खरीद-बिक्री में हेरफेर।
कच्ची शराब की बेहिसाब बिक्री, जिससे सरकारी खजाने को नुकसान।
एफएल-10ए लाइसेंस के जरिए शराब निर्माताओं से मोटी रकम वसूलना।

अभी जेल में क्यों हैं कवासी लखमा ?

लखमा को 15 जनवरी को ईडी ने गिरफ्तार किया था। उनसे पहले दो बार पूछताछ हो चुकी थी। गिरफ्तारी के बाद 7 दिन तक ईडी की कस्टडी में पूछताछ हुई और फिर 21 जनवरी को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। बाद में यह अवधि 18 फरवरी तक बढ़ाई गई थी, जो अब 4 मार्च तक बढ़ा दी गई है।

अब 20 फरवरी को यह तय होगा कि लखमा विधानसभा सत्र में शामिल हो सकेंगे या नहीं।

Ashok Kumar Sahu

Editor, cgnewstime.com

Ashok Kumar Sahu

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