noise pollution control को लेकर हाईकोर्ट ने सरकार को फटकार, मुख्य सचिव को हलफनामे का पालन कड़ाई से करने को कहा

बिलासपुर हाईकोर्ट ने राज्य में बढ़ते शोर प्रदूषण को गंभीर समस्या बताते हुए सरकार को कानून में जल्द संशोधन करने और त्योहारी सीजन में कड़ी निगरानी रखने के निर्देश दिए हैं। मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बी.डी. गुरु की डिवीजन बेंच ने सोमवार को हुई सुनवाई में कहा कि कोलाहल नियंत्रण अधिनियम को और सख्त बनाना आवश्यक है।
राज्य सरकार ने पेश किया हलफनामा
राज्य सरकार की ओर से मुख्य सचिव ने 18 सितंबर को व्यक्तिगत हलफनामा पेश किया। इसमें बताया गया कि 19 सितंबर 2024 को बिलासपुर पुलिस अधीक्षक ने शोर प्रदूषण के खिलाफ कार्रवाई की रिपोर्ट दी थी। इसके बाद, 19 दिसंबर 2024 को हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से ध्वनि प्रदूषण (विनियमन एवं नियंत्रण) नियम, 2000 की लागू स्थिति की जानकारी मांगी। इसी के तहत 27 जनवरी 2025 को गृह, कानून, शहरी प्रशासन और पर्यावरण विभाग के अधिकारियों की पांच सदस्यीय समिति बनाई गई, जो कोलाहल नियंत्रण अधिनियम, 1985 और ध्वनि प्रदूषण नियम 2000 की तुलना कर आवश्यक संशोधन का प्रस्ताव तैयार कर रही है।
हस्तक्षेपकर्ताओं ने दिए सुझाव
सुनवाई के दौरान हस्तक्षेपकर्ता पक्ष ने रायपुर जिले में त्योहारी सीजन के दौरान लगाए गए 783 सीसीटीवी कैमरों की जानकारी दी। उन्होंने सुझाव दिया कि इन कैमरों की फुटेज सुरक्षित रखी जाए ताकि शोर प्रदूषण नियमों के उल्लंघन की निगरानी और साक्ष्य संग्रहण किया जा सके। राज्य सरकार के वकील ने भी इस बात की पुष्टि की कि विशेष तारीखों पर सीसीटीवी फुटेज संरक्षित रखने की व्यवस्था की जाएगी ताकि जुलूसों में नियमों का पालन सुनिश्चित किया जा सके।
हाईकोर्ट ने दिए महत्वपूर्ण आदेश
हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव को निर्देश दिए हैं कि वे कोलाहल नियंत्रण अधिनियम, 1985 में आवश्यक संशोधन की प्रक्रिया जल्द पूरा करें। साथ ही, ध्वनि प्रदूषण (विनियमन एवं नियंत्रण) नियम, 2000 का कड़ाई से पालन कराया जाए। त्योहारी अवसरों पर सीसीटीवी फुटेज की सुरक्षा भी सुनिश्चित की जाए। अगली सुनवाई 16 अक्टूबर 2025 को निर्धारित की गई है।