कोरोना टेस्ट कठिन, आरएनए अलग करते हैं तब दिखता है कोविड वायरस, 8 घंटे की प्रक्रिया
रायपुर- कोरोना संक्रमण के दौरान सबसे ज्यादा चर्चा में यही मुद्दा आई है कि स्वाब सैंपल लेने के बाद जांच के नतीजे आने में दो दिन लग रहे हैं, इस दौरान संक्रमित व्यक्ति दूसरे लोगों में भी वायरस फैला सकता है। आखिर नतीजे में देरी क्यों हो रही है, यह पता लगाने के लिए दैनिक भास्कर ने कोरोना टेस्ट से जुड़े विशेषज्ञों से बात की। उन्होंने सैंपल लेने से जांच तक का पूरा प्रोसेस बताया और कहा कि अगर तुरंत सैंपल लेकर जांच शुरू कर जाए, तब भी 8 घंटे से कम नहीं लगते। इसी प्रक्रिया में एक दिन की देरी हो रही है। दूसरा, आरटीसीपीआर किट में ही यह जांच हो सकती है और यह बहुत अधिक संख्या में उपलब्ध नहीं है। इसलिए सैकड़ों सैंपल रोज वेटिंग में आ रहे हैं और समय लग रहा है।
वायरोलॉजी लैब में आरटीपीसीआर (रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पॉलीमर चेन रिएक्शन) किट से कोरोना जांच के लिए गले या नाक के स्वाब का सैंपल जरूरी होता है। जब यह सैंपल लैब में पहुंचता है, तब बड़ी बारीकी से इसे अलग कर जांच के लिए रख जाता है। सबसे पहले स्वाब से आरएनए (रिबो न्यूक्लिक एसिड) को अलग करते हैं। इसे प्लायसिस कहा जाता है। इस प्रक्रिया में ढाई से तीन घंटे लग जाते हैं। इसके बाद इसे आरटीपीसीआर मशीन में रन किया जाता है।
आरएनए कोरोना है या नहीं, यह पता लगाने में डेढ़ से दो घंटे लगते हैं। फिर ग्राफ बनाते हैं और इसमें दो जीन, ई तथा आरडीआरपी की तलाश करते हैं। सैंपल में ई-जीन पॉजीटिव मिले और आरडीआरपी जीन भी मौजूद हो, तब इसे कोविड-19 का वायरस माना जाता है। इसके बाद कंप्यूटर में जीन का एनालिसिस कर देखते हैं कि संबंधित कोरोना वायरस किस प्रकृति का है। इस पूरी प्रक्रिया में 8 घंटे लगते हैं, तब रिपोर्ट तैयार होती है।
रिपोर्ट आईसीएमआर-आईडीएसपी को
डा. नेरल के अनुसार – आरटीपीसीआर किट से जांच में त्रुटि की संभावना कम होती है। पूरी प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद कंप्यूटर के माध्यम से आईसीएमआर व आईडीएसपी को रिपोर्ट भेजी जाती है। एक मरीज की रिपोर्टिंग में 15 से 17 जानकारी भरनी होती है। इस प्रक्रिया में एक घंटे से ज्यादा लगते हैं। लैब में जांच के लिए लैब टेक्नीशियन से लेकर साइंटिस्ट व डॉटा एंट्री ऑपरेटर की ड्यूटी लगाई गई है।
वायरल लोड कम, 10% केस में रिपीट टेस्ट
डा. नेरल के मुताबिक कई बार सैंपल में आरएनए या वायरल लोड कम होने पर रिपोर्ट कंफर्म नहीं होती। एेसे 8-10 फीसदी केस में टेस्ट दोबारा करना पड़ता है। मशीन में वायरस की रीडिंग नहीं आने पर सैंपल फिर जांचते हैं। यही नहीं, आजकल पूल टेस्टिंग भी कर रहे हैं। इसमें 5 सैंपल एक साथ रखे जाते हैं। यह नेगेटिव अाया, अर्थात सभी 5 लोग नेगेटिव हैं। लेकिन पाजिटिव आया, तब हर सैंपल की जांच करनी पड़ती है कि पाजिटिव सैंपल किसका था। इस प्रक्रिया में 3 घंटे अतिरिक्त लगते हैं। यानी पूल टेस्टिंग चले और रिपोर्ट पाजिटिव आ जाए, तो फिर 9 से 12 घंटे तक भी लग जाते हैं।
एडवांस ट्रू-नाॅट मशीन से 2 घंटे में रिपाेर्ट
प्रदेश में कोरोना जांच की ऐसी एडवांस (ट्रू नाॅट) मशीन आई है जो केवल 2 घंटे में रिपोर्ट देगी। कंफर्मेशन के लिए दोबारा आरटीपीसीआर टेस्ट की जरूरत भी नहीं पड़ेगी। इस मशीन से सैंपल जांच में तेजी की संभावना है। आरटीपीसीआर रिपोर्ट आने में कम से कम 8 घंटे लगते हैं। इसी दौरान नई मशीन 4 सैंपल जांच सकती है।
हालांकि आरटीपीसीआर में एक बार में 92 से 100 सैंपलों की जांच की जा सकती है, जो ट्रू नॉट में संभव नहीं है। फिर भी, इससे वेटिंग कम की जा सकती है।