धान के साथ अब पाम आयल की खेती की ओर बढ़ रहा है रुझान
रायपुर- बालोद जिले के किसान परम्परागत खेती के साथ अब उद्यान की फसलों की ओर रुख कर रहे हैं। वे धान की फसल के साथ पाम आयल की खेती कर रहे है। जिले के डेढ़ दर्जन से ज्यादा गांवों में लगभग 400 हेक्टयर में इसकी खेती की जा रही है।
जिले में इसकी शुरुआत ग्राम किसना के द्वारका प्रसाद साहू ने उद्यानकी विभाग के सहयोग से की 2012 में की थी। उन्होंने लगभग 3 एकड़ में पाम आयल की फसल लगाई है। आज उनमे फल आना शुरू हो गया है। श्री द्वारिका प्रसाद की पाम आयल की फसल को आज गुण्डरदेही विकासखंड के ग्राम गुरुर में आयोजित अटल विकास यात्रा के स्टाल में अवलोकन में लिए रखा गया था। उद्यानकी विभाग के अधिकारियों ने बताया कि बालोद जिले के ग्राम किसना, पेंड्रावानी,चराचार,मेघना,सिरसिदा, जारवाह, खपरी, मोतीपार सहित डेढ़ दर्जन से अधिक गांवों के लगभग 400 किसान पाम आयल की खेती कर रहे है। अधिकारियों ने बताया कि एक पौधे की कीमत 1200 रुपये है, जिसे किसानों को निशुल्क दिया जाता है साथ ही चार साल तक पौधों की देखरेख और खाद के लिये प्रतिवर्ष 10 हजार रुपये की सब्सिडी दी जाती है। एक पौधा चार साल में फल देने लगता है। अधिकारियों ने बताया कि एक बार फल लगने के बाद लगातार साल भर इसमें फल आता है। एक फल का वजन 20 से 25 किलो होता है। एक पौधा जब 15 से 20 साल का हो जाएगा तो एक एकड़ में लगभग 15 टन फल का उत्पादन होगा। अधिकारियों ने बताया कि भारत सरकार द्वारा पाम आयल के लिए वर्तमान में 8.50 रुपये प्रति किलो समर्थन मूल्य निर्धारित किया गया है। अभी हैदराबाद में इसका आयल प्लांट लगा है। छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में भी इसके उत्पादन के आधार पर प्लांट की स्थापना प्रस्तावित है।