नियमों के विपरीत 70 करोड़ के सड़क निर्माण का ठेका दिया, 2 साल से जांच अटकी
कोनी से सेंदरी तक की फोरलेन सड़क को बने दो साल गुजर चुके हैं लेकिन नियम विपरीत दिए गए ठेके की जांच पीडब्ल्यूडी के अफसर दो साल गुजर जाने के बाद भी नहीं कर सके हैं। कोनी से सेंदरी तक 10 किलोमीटर बनने वाली सड़क में गड़बड़ी निर्माण के दौरान ही सामने आ गई थी।
रायपुर – निर्माण के दौरान इस बात का खुलासा हुआ था कि इसका काम लेने वाले शांति इंजीकॉम को ठेका नियमों के विपरीत दिया गया है। 7 जुलाई 2016 को खुले टेंडर में शांति इंजीकॉम को यह ठेका 23.51 बिलो रेट पर मिला था। किसी भी ठेके लेने वाले को ही सुरक्षानिधि खुद जमा करनी होती है।
उसकी जगह कोई दूसरा सुरक्षानिधि जमा नही कर सकता लेकिन कोनी से सेंदरी तक के इस सड़क निर्माण में ठेका लेने वाली फर्म शांति इंजीकॉम की जगह मेकडम मेकर्स और मांगीलाल पारेख के नाम पर सुरक्षानिधी जमा हुई थी। मामले के खुलासे के बाद अफसरों ने जांच की बात कही थी लेकिन दो साल गुजरने के बाद अफसर भी इस मामले को भूल गए हैं।
यह था विकल्प: यदि किसी ठेकेदार का बिलोरेट सबसे कम है और उसे टेंडर मिला है लेकिन किसी कारण से वह सुरक्षा निधि जमा नहीं कर पा रहा है टेंडर निरस्त कर फिर से टेंडर बुलाना पारदर्शी प्रक्रिया थी लेकिन अफसरों ने मिलीभगत से ऐसा नहीं किया।
एपीएस की राशि नहीं होने के बाद भी टेंडर देने पर खड़े हुए सवाल
किसी भी काम के एवज में ली जाने वाली एपीएस की राशि ठेकेदार की ही मूल राशि होती है। यह माना जाता है कि लिए जाने वाले काम के एवज में उतनी राशि ठेकेदार जमा कर ही सकता है। यहां ठेकेदार के बाद जब एपीएस की राशि ही नहीं थी तो भी उसे क्यों टेंडर दिया गया।
विशेषज्ञ बोले ऐसा करना नियमों के विपरीत
पीडब्ल्यूडी के सेवानिवृत्त चीफ इंजीनियर सुरेंद्र कुमार जैन ने कहा कि आश्चर्य है कि ऐसा कैसे हो गया। यह नियमों के विपरीत है। इस तरह टेंडर नहीं दिया जाना चाहिए था।
चीफ इंजीनियर ने कहा ऐसा करना गलत था
चीफ इंजीनियर पीएन साय ने कहा कि मामले की जानकारी यहां आने के बाद भी अधीनस्थ अधिकारियों ने नहीं दी। इस तरह से टेंडर दिया जाना गलत है। देखेंगे कि दो साल से जांच किस स्थिति में है और क्यों पूरी नहीं हो पाई।