दीपका/गेवरा : देवी मंदिरों में दिखा कोरोना का असर, चैत्र नवरात्र का पहला दिन, चारों तरफ सन्नाटा
दीपका/गेवरा । कोरोना का असर पूरे प्रदेश की देवी मंदिरों में साफ देखने को मिल रहा है। श्रद्धालुओं का मंदिरों में प्रवेश करना वर्जित है। चैत्र नवरात्र का आज प्रथम दिन है और हिंदू नव वर्ष की शुरुआत है।
बता दे कि हर वर्ष यह पर्व धूमधाम से मनाया जाता है लेकिन पिछले 2 वर्षों से सन्नाटा सा पसर रहता है। देवी मंदिरों में आस्था की दीप प्रज्वलित की जाती है। दीपका गेवरा में भी देवी माता के मंदिर है। यहां कुछ मंदिरों में दीप प्रज्वलित की गई है लेकिन किसी को दर्शन की अनुमति नहीं है। वहीं, कुछ मंदिर ऐसे भी हैं जहां नेग के लिए दीप जलाया गया है।
आइए जानते हैं कैसा रहा दीपका गेवरा में लॉकडाउन के दौरान चैत्र नवरात्र का पहला दिन –
1. दीपेश्वरी माता का मंदिर —
कोरबा जिले के दीपका क्षेत्र अंतर्गत प्रगति नगर स्थित दीपेश्वरी माता का मंदिर काफी प्रसिद्ध है। हर वर्ष यहां भक्तजनों का तांता लगा रहता है लेकिन कोरोना की वजह से इस वर्ष यहां ताला लगा दिया गया है। मंदिर के अंदर केवल पुजारी विजेंद्र तिवारी मौजूद है। पुजारी ने बताया कि मंदिर के अंदर केवल 51 ज्योति प्रज्वलित की गई है और भक्तजनों के आने पर रोक लगा दी गई है। प्रतिवर्ष नवरात्र के समय यहां बहुत अधिक भीड़ भाड़ रहता है लेकिन इस वर्ष सन्नाटा पसर चुका है।
2. अष्टभुजी माता का मंदिर —
दीपका में अष्टभुजी माता का मंदिर आजाद चौक में स्थित है। यहां इस वर्ष 525 ज्योति कलश प्रज्वलित किए गए हैं। पंडित ऋषभ कुमार पांडे ने बताया कि मंदिर में कोविड-19 नियमों का पूरी तरह पालन किया जा रहा है। इस वजह से भक्तजनों का यहां आना मना है।
3. समलाई माता का मंदिर —
दीपिका के प्रसिद्ध समलाई माता मंदिर में भी लोगों की आस्था पर कोरोना का असर देखने को मिला। यहां पर एक भी ज्योति कलश प्रज्ज्वलित नहीं की गई है। समलाई माता के बैगा हनुमान प्रसाद कवर यहां माता की पूजा अर्चना कर रहे हैं।
वही, माता के भक्त और पार्षद रामकुमार कंवर ने बताया कि समलाई माता मंदिर में केवल एक ज्योति कलश की स्थापना की गई है। श्रद्धालुओं ने ज्योति कलस जलाने के लिए संपर्क किया था लेकिन प्रतिबंध होने की वजह से अन्य ज्योति कलश नहीं जलाया गया। इसका निर्णय समिति ने पहले ही ले लिया गया था। इस तरह कोविड-19 की गाइडलाइन का पालन मंदिर में किया जा रहा है।