कबीरधाम : शासन-प्रशासन की रंग लाई मेहनत, गंभीर कोरोना मरीजों को मिला नया जीवन, डेडिकेटेड अस्पताल का कमाल

कबीरधाम। कोरोना संक्रमण से लोगों को बचाने के लिए शासन व जिला प्रशासन सदैव कृत-संकल्पित है। इन्ही उद्देश्यों की पूर्ति के लिए जिला कबीरधाम की जनता के स्वास्थ्य सेवा के लिए 100 बिस्तर सर्व सुविधायुक्त डेडिकेटेड कोविड हॉस्पिटल की स्थापना की गई है।
एक राहत भरी खबर यह है कि यहां लगभग 700 से ऊपर लोग भर्ती थे, इनमें से 500 से अधिक को उपचारित करके स्वस्थ किया जा चुका है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ शैलेन्द्र कुमार मण्डल ने बताया कि जिन प्रकरणों में कोविड मरीजों की जान गई, उनमें से अधिकांश प्रकरण आपातकाल में डीसीएच लाये गए प्रकरण थे। हमें खेद है कि चिकित्सा टीम के अथक प्रयासों के बाद भी अधिक गम्भीर कुछ लोगों की जानें नही बचाई जा सकी, लेकिन यदि परिजन सही समय पर जागरूकता दिखाएं तो इन आंकड़ों को काफी कम किया जा सकता है।
ज्योति गुप्ता का आरोप बेबुनियाद –
डेडिकेटेड कोविड हॉस्पिटल के सहायक नोडल अधिकारी डॉ. विवेक चन्द्रवंशी कवर्धा निवासी 38 वर्षीय सौरभ गुप्ता को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए बताते हैं कि सौरभ व उनकी पत्नी ज्योति गुप्ता को दिनांक 23 अप्रेल को डीसीएच में भर्ती कराया गया। जब इनकी भर्ती की गई तब इनका ऑक्सीजन लेबल काफी कम था, जिसकी वजह से तत्काल सौरभ गुप्ता को ऑक्सीजन लगाकर उपचार शुरू किया गया। इनमें से पत्नी ज्योति गुप्ता को बीमारी से मुक्त करने में मेडिकल टीम को सफलता मिली। इनके पति सौरभ गुप्ता का भी उपचार जारी था और दिनांक 10 मई को इनका ऑक्सीजन लेबल 94 था, जब इनकी पत्नी ज्योति गुप्ता अन्य अस्पताल में उपचार कराने की बात कहकर डीसीएच से निकालकर ले गईं। तकरीबन 2 घण्टे बाद वे मरीज को लेकर फिर वापस आई और डीसीएच में काफी गम्भीर स्थिति में भर्ती करवाया। जहां अथक प्रयासों व उपचार के बावजूद सौरभ गुप्ता की जान नही बचाई जा सकी।
उल्लेखनीय है कि 36 वर्षीय ज्योति गुप्ता द्वारा द्वारा मीडिया व सोशल मीडिया के माध्यम से यह दावा किया जा रहा है कि उपचार में की गई लापरवाही के चलते उनके पति सौरभ गुप्ता की जान गई। हम ज्योति गुप्ता द्वारा लगाए गए सभी अरोपों का खंडन करते हैं। ज्योति गुप्ता द्वारा यह दावा किया गया है के डॉक्टर्स व नर्स द्वारा उनके पति के उपचार पर ध्यान नही दिया जाता था और वे स्वयं वेंटिलेटर ऑपरेट करती थीं। यह बात स्पष्ट करता है कि वे झूठ बोल रही हैं, क्योंकि वेन्टीलेटर्स का संचालन टेक्निकल ट्रेनिंग के बाद ही सम्भव है। स्टाफ से नजर बचाकर यदि उन्होंने ऐसा किया भी होगा तो इस दिशा में जांच जारी है , क्योंकि किसी मरीज के परिजन को इस तरह महामारी के वक्त वेंटिलेटर जैसे संवेदनशील मशीन के साथ छेड़छाड़ करना गलत और मरीज के जान से खिलवाड़ है।
मरीज की जान बचाना प्रत्येक चिकित्सक व उनकी टीम का ध्येय होता है। कभी भी जानबूझकर किसी की जान जोखिम में नही डाला जाता है, लेकिन ज्योति गुप्ता जैसे कुछ मरीज व उनके परिजन अपनी त्रुटियों को व्यवस्थाओं का दोष बताकर बेवजह की समस्या खड़ी करते हैं। स्वयं उसी अस्पताल में उपचार के बाद स्वस्थ्य होने वाली ज्योति गुप्ता द्वारा अपने पति के निधन के सम्बन्ध में बेबुनियाद आरोप लगाकर शासन की व्यवस्थाओं को धूमिल करने की कोशिश की गई है।