रायपुर। पिछले 52 दिनों से महाराष्ट्र के कथित संत कालीचरण रायपुर की जेल में कैद है। दरअसल पिछले साल रायपुर में हुई धर्म संसद में महात्मा गांधी के खिलाफ आपत्तिजनक बातें कहने के बाद कालीचरण को गिरफ्तार कर लिया गया था।
अब कालीचरण से जुड़े हुए एक भक्त का दावा है कि कालीचरण जेल में ठीक है, खाने-पीने या स्वास्थ्य संबंधी कोई समस्या नहीं है। बस उसे वकील से मिलने नहीं दिया जा रहा है। बताया गया है कि बाबा का प्रवचन जेल में जारी है।
जेलकर्मी लगे सेवा में –
कालीचरण को जेल में सेलिब्रिटी ट्रीटमेंट मिल रहा है, बताया जा रहा है कि जेल के कर्मचारी उनके आस-पास मंडराते रहते हैं और किसी चीज की जरूरत हो तो फौरन मुहैया भी कराते हैं। मुस्कुराकर कालीचरण जेल में दूसरे कैदियों से भी मिलते हैं और उन्हें धर्म और अध्यात्म की बातें बताते हैं। खाकी वर्दी पहने कर्मचारी भी कालीचरण की बातें सुनने बैठ जाते हैं। महाराष्ट्र के रहने वाले कालीचरण को दो माह पहले खजुराहो से गिरफ्तार किया गया था।
डेढ़ महीने बाद करवाई गई पिता से बात –
कालीचरण के पिता महाराष्ट्र में रहते हैं । करीब डेढ़ महीने बाद कालीचरण को उनके पिता से फोन पर बात करवाई गई। जेल में उन्होंने पिता से फोन पर बात करने की अर्जी करीब डेढ़ महीने पहले दे दी थी। इसके लिए कुछ शुल्क भी देना होता है वह रुपए भी दे दिए गए थे, मगर डेढ़ महीने बाद उनकी बात करवाई गई। पिता ने भी बेटे का हालचाल लिया, तब बेटे ने आश्वस्त किया कि जल्द ही सब कुछ ठीक होगा।
प्रमोद दुबे के खिलाफ गुस्सा –
कालीचरण समर्थकों में प्रमोद दुबे के खिलाफ गुस्सा है। रायपुर नगर निगम के सभापति प्रमोद दुबे ने ही पिछले साल धर्म संसद के बाद FIR दर्ज करवाई थी, जिसकी वजह से कालीचरण पर राजद्रोह का केस दर्ज किया गया है। कालीचरण से जुड़े सूत्रों का दावा है कि अपनी पहुंच और रुतबे की वजह से हाईकोर्ट में भी दुबे से जुड़े लोग मामले को प्रभावित करने का प्रयास कर रहे हैं, इसीलिए अब इनके खिलाफ अभियान शुरू करने की तैयारी है।
धर्म संसद में किया था महात्मा गांधी का अपमान –
अकोला महाराष्ट्र के रहने वाले कालीचरण ने 26 दिसंबर को रायपुर की धर्म संसद में कहा था- 1947 में मोहनदास करमचंद गांधी ने उस वक्त देश का सत्यानाश किया। नमस्कार है नाथूराम गोडसे को, जिन्होंने उन्हें मार दिया। कार्यक्रम के मुख्य संरक्षक और राज्य गोसेवा आयोग के अध्यक्ष महंत रामसुंदर दास ने इस बयान का विरोध करते हुए मंच छोड़ दिया था।