
रायपुर। छत्तीसगढ़ की प्रसिद्ध पंडवानी गायिका और पद्मविभूषण डॉ. तीजन बाई की तबीयत बिगड़ गई है. फिलहाल उनका इलाज घर पर ही हो रहा है. मिली जानकारी के मुताबिक पद्मश्री, पद्मभूषण और पद्मविभूषण तीजन बाई की तबीयत पिछले कुछ दिनों से खराब थी. भिलाई के सेक्टर-9 अस्पताल में वो भरती थीं और डॉक्टरों की टीम की निगरानी में उनका इलाज किया जा रहा था. उनकी हालत को लेकर परिजनों ने सोशल मीडिया पर जानकारी दी थी.
तीजन बाई की तबीयत की खबर मिलते ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दुर्ग जिला प्रशासन को निर्देश दिया और उनके इलाज के लिए डॉक्टरों की टीम भेजी. फिलहाल उनकी हालत सामान्य बताई जा रही है. गुरुवार को बीजेपी सांसद विजय बघेल ने भी तीजन बाई से मुलाकात की थी और उनका हाल जाना था.
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने किया ट्वीट
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी तीजन बाई का हाल जाना. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा- पद्म विभूषण तीजन बाई जी के परिवार के लोगों से फोन पर बात हुई है. वे अभी स्वास्थ्य लाभ ले रही हैं. चिकित्सकों की लगातार निगरानी में हैं. हम हर तरह से उनके साथ हैं.
जानें कौन हैं तीजन बाई –
छत्तीसगढ़ के भिलाई के गांव गनियारी में जन्मी तीजन बाई के पिता का नाम हुनुकलाल परधा और माता का नाम सुखवती था. तीजन बाई अपने नाना ब्रजलाल को महाभारत की कहानियां गाते सुनाते देखती थीं. धीरे-धीरे उन्हें ये सब याद होने लगा. उनकी अद्भुत लगन और प्रतिभा को देखकर उमेद सिंह देशमुख ने उन्हें अनौपचारिक प्रशिक्षण भी दिया. 13 साल की उम्र में उन्होंने अपनी पहली प्रस्तुति दी. ऐसा कहा जाता है कि उस समय की पंडवानी महिला कलाकार बैठकर प्रस्तुति देती थी, लेकिन तीजन बाई ने इस प्रथा को तोड़ते हुए पुरूषों की तरह पंडवानी गाया. प्रसिद्ध रंगकर्मी हबीब तनवीर ने उन्हें सुना और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के सामने प्रदर्शन करने के लिए निमंत्रित किया. उस दिन के बाद से उन्होंने अनेक अतिविशिष्ट लोगों के सामने देश-विदेश में अपनी कला का प्रदर्शन किया और उसके बाद उनकी प्रसिद्धि आसमान छूने लगी. 1980 में उन्होंने सांस्कृतिक राजदूत के रूप में इंग्लैंड, फ्रांस, स्विट्ज़रलैंड, जर्मनी, टर्की, माल्टा, साइप्रस, रोमानिया और मारिशस की यात्रा की और वहां पर प्रस्तुतियां दी.
तीजन बाई को भारत सरकार ने 1988 में पद्मश्री सम्मान प्रदान किया. 3 अप्रैल, 2003 को भारत के राष्ट्रपति डॉ॰ अब्दुल कलाम द्वारा पद्म भूषण, मध्यप्रदेश सरकार का देवी अहिल्याबाई सम्मान, संगीत नाटक अकादमी नई दिल्ली से सम्मान, 1994 में श्रेष्ठ कला आचार्य, 1996 में संगीत नाट्य अकादमी सम्मान, 1998 में देवी अहिल्या सम्मान, 1999 में इसुरी सम्मान प्रदान किया गया. 27 मई 2003 को डीलिट की उपाधि से छत्तीसगढ़ शासन द्वारा सम्मानित किया गया. डॉ. तीजन बाई बीएसपी में डीजीएम थी. सितंबर 2016 में रिटायर हुई. 2017 में तीजन बाई को खैरागढ़ यूनिवर्सिटी डिलीट की उपाधी दी. संगीत विवि खैरागढ़ में तीजन बाई को डिलीट की उपाधि दी गई थी. 27 मई 2003 को डीलिट की उपाधि से छत्तीसगढ़ शासन द्वारा सम्मानित किया गया. इसके अलावा महिला नौ रत्न, कला शिरोमणि सम्मान, आदित्य बिरला कला शिखर सम्मान 22 नवम्बर, 2003 को मुंबई में प्रदान किया गया.