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मंडी शुल्क नहीं देना होगा अब किसानों को राज्य में कहीं भी बेच सकेंगे अपना सामान

रायपुर- छत्तीसगढ़ सरकार की लगातार मांग के बाद केंद्र ने चावल का कोटा बढ़ाकर 28 लाख मीट्रिक टन कर दिया है। इससे राज्य को थोड़ी राहत मिली है, लेकिन खाद्य मंत्री अमरजीत भगत संतुष्ट नहीं हैं। उनका कहना है कि केंद्र अभी 24 लाख मीट्रिक टन चावल ले रहा है, जबकि 32 लाख मीट्रिक टन चावल लेना चाहिए। कोटा और बढ़ाने के लिए भगत फिर से केंद्रीय खाद्य मंत्री रामविलास पासवान को पत्र लिखेंगे।
चावल का कोटा बढ़ाने के लिए सीएम भूपेश बघेल और खाद्य मंत्री भगत पहले भी केंद्रीय खाद्य मंत्री पासवान को पत्र लिख चुके हैं।

भगत ने बताया कि राज्य सरकार ने केंद्र से गरीबों के लिए जुलाई, अगस्त और सितंबर माह का चावल आवंटित करने का भी आग्रह किया है। इस पर भी केंद्र सरकार ने सहमति दी है। उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने इस खरीफ सीजन में किसानों से 83.67 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी है।

इसमें से कुल 56.51 लाख मीट्रिक टन चावल बना है। राज्य के पीडीएस में 25.40 लाख टन (सेंट्रल पूल 15.48 लाख  टन, स्टेट पूल 9.92 लाख टन) और शेष 31.11 लाख टन चावल सरप्लस होगा। इसमें से भारत सरकार द्वारा एफसीआई में 24 लाख टन चावल लेने की अनुमति दी गई है। इस तरह कुल 73.20 लाख टन धान की ही खपत होगी। लगभग 10.47 लाख मीट्रिक टन धान (अनुपातिक चावल 7.11 लाख टन) राज्य सरकार के पास शेष रहेगा।

15 सौ करोड़ का नुकसान 
राज्य में सरप्लस चावल के कारण राज्य को लगभग 15 सौ करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा था। राज्य सरकार की आेर से केंद्र से मांग की गई थी कि कोरोना संक्रमण के कारण उत्पन्न परिस्थितियों में लाॅकडाउन से देश के साथ-साथ राज्य की अर्थव्यवस्था पर भी विपरीत प्रभाव पड़ा है। ऐसी स्थिति में यदि राज्य में उपलब्ध सरप्लस चावल की खपत नहीं की जाती तो राज्य को बड़ी हानि उठानी पड़ेगी जो इन विषम परिस्थितियों में राज्य की आर्थिक विकास की गति पर विपरीत प्रभाव डालेगा।

cgnewstime

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