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Raksha Bandhan 2024: 181 साल बाद 7 शुभ योग, जानें राखी बांधने का सही समय

डेस्क। भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन इस साल 19 अगस्त, सोमवार को मनाया जाएगा। खास बात यह है कि इस बार रक्षाबंधन पर 181 साल बाद सात शुभ योगों का संयोग बन रहा है, जिससे इस पर्व की विशेषता और भी बढ़ गई है।

शुभ योगों की गणना

इस रक्षाबंधन पर सात महत्वपूर्ण शुभ योग बनने जा रहे हैं:
1. **रवि योग** – सूर्य के विशेष संयोग से उत्पन्न।
2. **शश राजयोग** – शश और राजयोग के संयोजन से।
3. **शोभन योग** – सुख और समृद्धि लाने वाला।
4. **बुधादित्य योग** – बुध और सूर्य के योग से।
5. **सर्वार्थ सिद्धि योग** – सभी कार्यों में सफलता का संकेत।
6. **शुक्रादित्य योग** – शुक्र और सूर्य के मिलन से।
7. **लक्ष्मी नारायण योग** – धन और ऐश्वर्य का योग।

इन योगों के साथ-साथ सावन का आखिरी सोमवार और सावन की पूर्णिमा का भी मिलन हो रहा है। शनि अपनी स्वराशि कुंभ में और सूर्य अपनी स्वराशि सिंह में रहेंगे, जिससे यह पर्व और भी विशेष हो गया है।

राखी बांधने का सही समय

धार्मिक मान्यता के अनुसार, भद्राकाल में राखी बांधना निषेध माना जाता है। इस बार 19 अगस्त को भद्राकाल दोपहर 1.25 बजे तक रहेगा। इसलिए, रक्षाबंधन का उत्सव भद्राकाल समाप्त होने के बाद, यानी दोपहर 1.32 बजे के बाद मनाना शुभ रहेगा।

रक्षा बंधन के उपाय और मंत्र

रक्षा बंधन पर श्रवण नक्षत्र और शोभन योग का संयोग हो रहा है, जो इस दिन को विशेष बनाता है। पंडित रमेशचंद्र त्रिपाठी के अनुसार, इस दिन भगवान शिव की पूजा और जप करना लाभकारी रहेगा। बहनों को चाहिए कि वे भाई को रक्षा बांधते समय भगवान श्री गणेश का ध्यान करें और उनसे मंगल की कामना करें।

राखी बांधते समय यह मंत्र पढ़ना भी शुभ माना जाता है:
येन बद्धो बली राजा दान वेंद्रो महा बल: तेन त्वां प्रति बद्धनामि रक्षे माचल माचल।

इस मंत्र के साथ राखी बांधने से रक्षा सूत्र की शक्ति और प्रभाव बढ़ जाता है।

इस साल रक्षाबंधन पर इन शुभ योगों का संयोग और भद्राकाल के बाद राखी बांधने का सही समय, इस पर्व को और भी खास बना देता है। यह अवसर न केवल भाई-बहन के रिश्ते को और मजबूत करेगा, बल्कि पुण्य और समृद्धि का भी संकेत देगा।

क्यों नहीं बांधते भद्रा में राखी?
पंडित रमेशचंद्र त्रिपाठी बताते हैं कि श्रावण शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथि को रक्षाबंधन मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार, यद्यपी सोमवार की भद्रा को कल्याणी बताया गया है, तथापि शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा में पूर्वाद्ध होता है और पूर्वाद्ध की भद्रा दिन में अशुभ होती है। पंडित भरत पांडे बताते हैं की भद्रा सूर्यदेव की पुत्री एवं शनि देव की बहन है। भद्रा का भी स्वभाव शनिदेव की तरह रहने के कारण भद्राकाल में मंगल एवं पुण्यदायक कार्य की विधि निषेध है। भद्रा समाप्त होने के उपरांत ही विप्रजन अपने यजमानों को संपूर्ण कल्याण की कामना से रक्षा सूत्र बांधेंगे।

रक्षा बंधन 2024 उपाय
इस रक्षा बंधन पर श्रवण नक्षत्र और शोभन योग का अति शुभ संयोग बन रहा है। जो इस दिन को विशेष बनाता हैं। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन शिव को जर्लापण जरुर करें। सोमवार का दिन और श्रवण नक्षत्र के योग से सर्वाद्धसिद्धी योग का भी निर्माण हो रहा है। बहनों को चाहिए कि वह भाई को रक्षा बांधते समय भगवान श्री गणेश का ध्यान कर उनसे मंगल की कामना करें।

राखी बांधते समय पढ़ें ये मंत्र
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि श्रावणी ( रक्षाबंधन ) का त्योहार सनातन धर्मियों के लिए वर्ष का प्रथम त्योहार माना गया है। इस दिन कुल पुरोहित अपने यजमान को तथा बहनें अपने भाई को रक्षा बांध व तिलक लगाकर चिरंजीवी व सर्वत्र विजयी होने की कामना करती हैं। रक्षा बांधने का एक मन्त्र सर्व प्रचलित है…येन बद्धो बली राजा दान वेंद्रो महा बल: तेन त्वां प्रति बद्धनामि रक्षे माचल माचल। इस मन्त्र से प्राचीन काल में द्रोपदी ने श्रीकृष्ण को व देव गुरु वृहस्पति ने इन्द्र को रक्षा बांधी थी। इस दिन श्रावणी का उपाकर्म ब्राह्मणों द्वारा किया जाता है। इसमें वेद पाठी ब्राह्मण शुक्ल यजुर्वेद के मन्त्रों द्वारा यज्ञोपवित की शुद्धि व प्रतिष्ठा करते हैं। इससे वह यज्ञोपवीत पूरे वर्ष भर तेज व ज्ञान प्रदान करता है।

Ashok Kumar Sahu

Editor, cgnewstime.com

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