बस्तर दशहरा की परंपरागत रस्म ‘डेरी गड़ाई’ उत्साहपूर्वक संपन्न, रथ निर्माण को मिली औपचारिक अनुमति

बस्तर : ऐतिहासिक दशहरा महोत्सव की दूसरी प्रमुख रस्म डेरी गड़ाई शुक्रवार को पारंपरिक रीति-रिवाजों और उल्लासपूर्ण माहौल में संपन्न हुई। यह रस्म दशहरा तैयारियों का एक महत्वपूर्ण चरण मानी जाती है, जिसके पूरा होते ही मां दंतेश्वरी की परिक्रमा के लिए रथ निर्माण की प्रक्रिया औपचारिक रूप से शुरू करने की अनुमति मिल जाती है।
रस्म के तहत बिरिंगपाल गांव से विशेष रूप से लाई गई साल वृक्ष की टहनियों को सिरहासार में मंत्रोच्चार, पारंपरिक वाद्य यंत्रों की धुनों और विधिवत पूजा-अर्चना के साथ जमीन में गाड़ा गया। यह प्रक्रिया स्थानीय परंपराओं की गहराई और श्रद्धा को दर्शाती है।
महिलाओं ने निभाई हल्दी खेलने की परंपरा
डेरी गड़ाई के मौके पर महिलाओं ने हल्दी खेलने की परंपरा निभाई। इस दौरान वे एक-दूसरे पर हल्दी छिड़ककर उत्सव की खुशी और सामाजिक एकता को साझा करती हैं। यह दृश्य न केवल सांस्कृतिक जीवंतता का प्रतीक रहा, बल्कि सामाजिक समरसता को भी मजबूत करने वाला रहा।
पारंपरिक तकनीकों से होगा रथ निर्माण
रथ निर्माण कार्य की जिम्मेदारी झाड़ उमरगांव और बेड़ा उमरगांव के संवरा जाति के पारंपरिक कारीगरों को सौंपी गई है। ये कारीगर बिना किसी आधुनिक उपकरण के, अपने पारंपरिक औजारों और तकनीकों से रथ का निर्माण करेंगे। यह रथ मां दंतेश्वरी की परिक्रमा के लिए उपयोग किया जाएगा। रथ निर्माण न सिर्फ आध्यात्मिक आस्था से जुड़ा है, बल्कि यह बस्तर की समृद्ध हस्तकला परंपरा का उत्कृष्ट उदाहरण भी है।
प्रमुख जनप्रतिनिधियों की मौजूदगी
पूजन और रस्म के अवसर पर सांसद एवं बस्तर दशहरा समिति के अध्यक्ष महेश कश्यप, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवं विधायक किरण देव, महापौर संजय पांडे, कमिश्नर डोमन सिंह, कलेक्टर हरिस एस, जिला पंचायत सीईओ प्रतीक जैन सहित क्षेत्र के कई जनप्रतिनिधि, मांझी-चालकी, नाइक-पाइक, मेंबर-मेंबरिन और बड़ी संख्या में स्थानीय समुदाय उपस्थित रहे।