विवाह के बाद 72 साल तक साथ साथ रहे पति-पत्नी की एक ही चिता में सजी अर्थी
अंतिम संस्कार में नम हुई लोगों की आंखें
रिपोर्टर@सुशील तिवारी
विवाह का बंधन एक जन्म नहीं बल्कि सात जन्मों का होता है पति पत्नी के रिश्ते एक दूसरे के सुख-दुख के साथी होते हैं और साथ ही जीने-मरने की कसमें भी खाते हैं इन सभी बातों को कोरबा जिले के प्रगतिनगर दीपका निवासी संतोष कुमार सिन्हा के पिता ने सच कर दिखाया है ।
पति की मौत के बाद 24 घंटे के अंदर पत्नी ने भी अपने प्राण त्याग दिए और पति के अंतिम संस्कार के आखिरी सफर में पत्नी ने साथ निभाया ।
जीवन के हर उतार-चढ़ाव में पत्नी अपने पति का साथ देती है दोनों के बीच का रिश्ता इतना अटूट होता है कि इसे कोई तोड़ नहीं सकता लेकिन कई बार मौत दो जोड़ों को जुदा करने में कामयाब हो जाता है ।
साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड दीपका विस्तार परियोजना में एक ऐसा ही मामला सामने आया है जो लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गया है ।
दरअसल पति पत्नी को मौत भी अलग नहीं कर सका । 72 साल तक शादी के बंधन को निभाने वाली पत्नी ने पति के आखिरी सफर में भी उसका साथ दिया ।
मूलतः गृह ग्राम सिवान जिला बिहार निवासी वर्तमान दीपका के रहने वाले 95 वर्षीय वशिष्ठ नारायण सिन्हा लंबे समय से बीमार चल रहे थे डॉक्टरों की निगरानी में उनका इलाज चल रहा था 6 दिसंबर बुधवार दोपहर लगभग 3 बजे उनकी मौत हो गई ,शव को गेवरा स्थित विभागीय अस्पताल में मरचूरी पर रखा गया था। उसके बाद मृतक के अंतिम संस्कार के लिए बिहार से आने वाले परिजनों का इंतजार कर दूसरे दिन अंतिम संस्कार करने का निर्णय लिया गया ।
उनकी 84 वर्षीय पत्नी रमावती देवी विलाप करते करते कई बार गस्थ खाकर बेहोश हो जा रही थी । दूसरे दिन जब सभी परिजन दूर गांव से दीपका पहुंच गए और अंतिम संस्कार के लिए अर्थी सजने लगी उसी दरमियान अर्थी के पास ही श्री मति रमावती देवी अपने पति के वियोग अपना दम तोड़ दिया ।
पति की मौत का सदमा 84 वर्षीय पत्नी रमावती बर्दाश्त नहीं कर सकी और महज 24 घंटे के अंदर ही उन्होंने भी अपने प्राण त्याग दिए। इसके बाद गुरुवार को दोनों का अंतिम संस्कार एक साथ साथ हुआ। यह दृश्य देखकर उपस्थित सभी लोगो की आंखे भी नम हो गई ।
एक चिता पर हुआ दोनों का अंतिम संस्कार
शादी के मंडप पर जन्म-जन्म का साथ निभाने की कसम खाने वाली यह जोड़ी दीपका कोलांचल क्षेत्र के साथ ही पूरे इलाके के लिए चर्चा का विषय है पति की मौत के कुछ ही घंटे के अंदर पत्नी की मौत ने लोगों को हैरानी में डाल दिया ।लेकिन पति और पत्नी की साथ विदाई धूमधाम से की गई। मौत के बाद दोनों की शवयात्रा भी साथ साथ निकाली गई और एक ही चिता पर अंतिम संस्कार भी किया गया।
सन 1951 में विवाह के बाद कभी नहीं हुआ था झगड़ा
दोनों की मौत के बाद लोगों के बीच दोनों की प्यार भरी कहानी चर्चा का विषय बन गया वहीं लोग कह रहे हैं कि ऐसे जोड़े विरले ही होते हैं जो साथ जीने मरने की तकदीर लिखवाकर धरती पर आते हैं।
एसईसीएल दीपका परियोजना में सीनियर मैनेजर के पद पर कार्यरत संतोष कुमार सिन्हा सेल्स ने बताया कि मेरे माता-पिता का विवाह सन 1951 में पूरे रीति रिवाज के साथ हुआ था । मैने पूरे जीवन ऐसी घटना और संयोग पहली बार देखा है। उनका कहना था कि मां और पिताजी का समाज और परिवार में बहुत सम्मान और आदर था लोग उन्हें भरपूर इज्जत देकर समाज में सलाह मशविरा के लिए घर आते थे दोनों में लड़ाई झगड़ा या मनमुटाव हमने कभी नहीं देखा । परिवार में नाती पोता संती समेत समाज के प्रायः सभी की पूछ परख हमेशा वो किया करते रहते थे जिसका हमको एवम पूरे परिवार को उनके इज्जत का नाज था।
हमें विश्वास ही नहीं हो रहा है कि हमारे सिर से माता पिता का साया एक साथ उठ जाएगा ।
मेरे माता पिता के एक साथ निधन से पूरा परिवार दुखी है दोनों एक साथ परलोक सिधार गए मौत भी उनको अलग नहीं कर पाई ।
भगवान उनकी आत्मा को शांति दे और हर जन्म में वे ही हमारे माता-पिता बनें ऐसी कामना हम ईश्वर से हाथ जोड़कर करते हैं।
गेवरा के मानसिंह बम बम हर अंतिम संस्कार में शामिल पर ऐसा संयोग पहली बार..
बड़े शिव मंदिर गेवरा में पुजारी के मुख्य सहयोगी मानसिंह बम बम SECL गेवरा परियोजना में पदस्थ है और वह काफी दिनों से लोगों के अंतिम संस्कार कार्यक्रम में अपने आप पहुंचकर मृत्यु सैया की अर्थी को सजाते हैं और अंतिम संस्कार पूरे विधि विधान से संपन्न करते हैं। इस अनहोनी घटना में मानसिंह बम बम को जब जानकारी लगी तो वह तत्काल मृतक परिवार के घर जाकर पूरे विधि विधान से कार्यक्रम को संपन्न कराया उन्होंने बताया कि मैं कई वर्षों से लोगों के अंतिम संस्कार में पहुंचता हूं पर ऐसा संयोग पहली बार देखा
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