देवी के पावन चरित्र का श्रवण से तामसिक व दैत्यवृत्ति का होता है नाश : आचार्य भगवत प्रसाद
कोरबा – सीएसईबी कालोनी में अश्वनी पाठक के निवास में आयोजित श्रीमद् देवी भागवत ज्ञान यज्ञ के सप्तम दिवस आचार्य पंडित श्री राधेश्याम जी त्रिपाठी (मस्तूरी ) कथा वाचन व्यास पीठाधीष पूज्य गुरुदेव ब्रम्हलीन पंडित श्री रमाकांत जी मिश्र “शास्त्री ” के कृपापात्र परम शिष्य भागवत प्रसाद जी ( कोटमी सोनार ) के मुखार बिंद से कथा का वचन कर रहे है। उन्होंने बताया कि देवी के पावन चरित्र का श्रवण करने से हमारे अंत: करण में उत्पन्न होने वाले तामसिक व दैत्य वृत्ति का नाश होता है मन को निर्मलता की प्राप्ति होती है।देवी भागवत में देवी की तीन प्रमुख चरित्र का वर्णन किया गया है प्रथम, मध्यम और उत्तम चरित्र। महिषासुर दैत्य के अत्याचार से संसार को मुक्त कराने के देवताओं द्वारा अपने तेजपुंज से देवी की दिव्य प्रादुर्भाव महालक्ष्मी के रूप हुआ और यही देवी महिषासुर का संहार करके महिषासुर मर्दनी बनीं। मध्यम चरित्र में मां जगदम्बा कौशिकी व कालिका बन शुंभ निशुंभ का वध करती है। उत्तम चरित्र में माता रानी की दिव्य कृपा राजा सुरथ और समाधी वैश्य प्राप्त करते हैं। देवी की यही पावन चरित्र दुर्गा सप्तशती के नाम से विख्यात है इनका विधिवत पूजन व पाठ किया जाय तो समस्त मंगलकामनाओं को पूर्ण करने व आसुरी वृत्तियों का संहार करने में सक्षम है। परशुराम सत्संग भवन ऊर्जा नगर गेवरा में चल रहे भागवत कथा में भक्तों की भीड़ लगातार बढ़ती जा रही है। मार्मिक कथा के साथ-साथ मधुर संगीत के द्वारा माता रानी की जसगान भक्तों को और आनंदित कर रहा है। महिला मंडल के सभी सदस्य गण व श्रद्धालुगण भाव से नृत्य करते हुए पावन पर्व को महोत्सव के रूप में आनंद ले रहे ।इस श्री मद देवी भागवत का समापन 15 फरवरी शुक्रवार को तुलसी समर्पण , हवन पूर्णाहुति सहस्त्रधारा , कन्या भोजन , भंडारा प्रसाद वितरण के साथ किया जाएगा!