पुलवामा हमले के वक्त CRPF के काफिले में मौजूद जवान की पत्नी ने दिया बेटी को जन्म, अस्पताल ने माफ किया बिल
नरेंद्र जगते की रिपोर्ट
अंबिकापुर- पुलवामा में आतंकी हमले में शहीद जवानों की बटालियन में शामिल सरगुजा के कृष्ण चंद्र सेन एक बेटी के पिता बन चुके हैं, उनकी पत्नी सुहेश्वरी सेन ने सुंदर बच्ची को जन्म दिया है, लेकिन पिता अब भी देश रक्षा में सीमा पर है, अम्बिकापुर के निजी अस्पताल में सुहेश्वरी ने बच्ची को जन्म दिया और जैसे ही डॉक्टर आराधना त्रिपाठी को यह पता चला की यह मरीज सीआरपीएफ जवान की पत्नी है उन्होंने मानवता दिखाते हुये, उसका सारा चिकित्सकीय शुल्क फ्री कर दिया, इतना ही नही अस्पताल के पूरे स्टाफ ने सुहेश्वरी को संबल भी प्रदान किया ताकि वो एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सके…
सरगुजा जिले के छोटे से गांव खाला में रहने वाले कृष्ण चंद्र सिंह जो सीआरपीएफ की 182 वीं बटालियन में पदस्थ हैं और श्रीनगर में फिलहाल अपने कर्तव्य को निभा रहे हैं, कृष्ण चंद्र सिंह की पत्नी सुहेश्वरी सेन ने बताया की उनके पति भी उसी टीम में थे जिस टीम पर आतंकी हमला हुआ है, सुहेश्वरी ने पति से फोन पर बात की है बताया है की वो अब एक बेटी के पिता बन चुके हैं लेकिन कृष्ण चंद्र राय पहले देश के बेटे होने का दायित्व निभा रहे हैं,
अस्पताल के डॉक्टरों को जैसे ही पता चला कि, सुहेश्वरी सीआरपीएफ जवान की पत्नी है. प्रबंधन ने मानवता दिखाते हुए उसका पूरा बिल माफ कर दिया. सरगुजा जिले के छोटे से गांव खाला में रहने वाले कृष्णचंद्र सिंह सीआरपीएफ की 182वीं बटालियन में पदस्थ हैं और श्रीनगर में फिलहाल अपना कर्तव्य को निभा रहे हैं|
सीआरपीएफ के काफिले में थे शामिल – कृष्णचंद्र सिंह की पत्नी सुहेश्वरी सिंह ने बताया कि, उनके पति भी उसी टीम में थे जिस टीम पर आतंकी हमला हुआ है, सुहेश्वरी ने पति से बात कर उन्हें पिता बनने की जानकारी दी. कृष्णचंद्र सिंह पहले देश के बेटे होने का दायित्व निभा रहे हैं देश और परिवार निभा रहे दोनों जिम्मेदारियां बहादुर पत्नी खुद को सिक्के के दो पहलुओं की तरह देखती है, पति की देश और परिवार दोनों की जिम्मेदारियां निभा रहे हैं. सुहेश्वरी बड़े गर्व से कहती हैं कि, वो ड्यूटी पर हैं।
भर आया जवान की पत्नी का गला – इस दौरान सुहेश्वरी ने भरे हुए गले से कहा कि, ‘बेटी को जन्म देते वक्त ‘मैं सोच रही थी की अगर उनको कुछ हो जाता तो हम लोगों का क्या होता’ बहरहाल कृष्णचन्द्र सुरक्षित हैं और इस बात की खुशी भी सुहेश्वरी को है. लेकिन इससे कहीं ज्यादा दुख इस बात का है की पति के इतने साथी शहीद हो गए हैं!