छत्तीसगढ़ की पहली श्रमिक स्पेशल फ्लाइट, बेंगलुरू से लौटे 179 मजदूर बोले- सपने में भी नहीं सोचा था कभी हवाई जहाज में बैठेंगे
रायपुर- माना एयरपाेर्ट पर गुरुवार को सुबह 9.55 पर जब बेंगलुरु से आने वाले विमान के यात्री जब बाहर निकले तो नजारा बदला हुआ था। किसी भी यात्री के हाथ में न तो ब्रांडेड सूटकेस थे और न ही एयरबैग। इसकी जगह कोई यात्री बोरी सिर पर लादे निकल रहा था तो कोई प्लास्टिक का झोला बगल में दबाए निकला। सबके चेहरे पर घर लौटने की खुशी के साथ हवाई जहाज में सवार होने के गर्व का भाव झलक रहा था। लॉकडाउन में करीब दो महीने से बेंगलुरू में फंसे 179 यात्री विशेष श्रमिक विमान से रायपुर पहुंचे। 2 घंटे के इस सफर में मजदूरों की जिंदगी का एक सबसे बड़ा सपना पूरा हो गया था- हवाई जहाज में बैठने का।
मजदूरों के साथ आए बच्चे और पत्नियों ने कहा लॉकडाउन में भले ही मुश्किल में दिन कटे हो, लेकिन हवाई जहाज के इस सफर ने उनकी सभी तकलीफों को खत्म कर दिया। कभी सोचा नहीं था कि सुबह घर से निकलकर सुबह ही घर पहुंच जाएंगे। गांव हो या शहर जब भी कहीं दूर जाना होता तो सुबह निकलते और शाम या रात में पहुंचते। पहली बार ऐसा हुआ कि बेंगलुरू से उड़े और कब रायपुर पहुंच गए पता ही नहीं चला। बेंगलुरू से सुबह 8 बजे स्पेशल विमान ने मजदूरों के साथ उड़ान भरी और तय समय में 9.55 को रायपुर पहुंच गई। एयरपोर्ट पर सभी मजदूरों की थर्मल स्क्रीनिंग की गई। मजदूरों के फॉर्म भरे गए। इसके लिए अथॉरिटी ने अलग से स्टाफ की व्यवस्था की थी।
आज आएगी दूसरी फ्लाइट : गुरुवार को बेंगलुरू फ्लाइट से जिन मजदूरों को रायपुर लाया गया उनमें बलौदाबाजार के 17, बलरामपुर 19, बिलासपुर 9, जशपुर 1, जांजगीर-चापा 95, कोरिया 2, कोरबा 8, महासमुंद 13, नारायणपुर 7, पेंड्रा-गौरेला 7, सरगुजा 2 समेत 179 मजदूर शामिल हैं। शुक्रवार को 174 मजदूरों को लेकर दूसरी श्रमिक स्पेशल फ्लाइट बेंगलुरू से रायपुर आएगी।
बोरे से निकाले बर्तन, सैनिटाइज कर लौटाया
कई मजदूर ऐसे थे जिनके बोरों में बर्तन भरे थे। सामान की जांच के बाद उनके झोलों और बोरियों को सैनिटाइज किया गया। बर्तन को भी सैनिटाइज करने के बाद लौटाया गया। विमानतल से बाहर निकलते ही उनके लिए अलग-अलग जिलों में भेजने बसें खड़ी कर दी गई थी। सभी मजदूरों को बसों में रवाना कर दिया गया। अब क्वारेंटाइन सेंटरों में 14 दिन रखा जाएगा। विमानतल में यात्रियों की व्यवस्था के लिए विशेष रूप से अपर आयुक्त पुलक भट्टाचार्य, आरटीओ शैलाभ साहू, डीएसपी सतीश सिंह ठाकुर भी मौजूद थे।
मजदूरों की आप बीती
अब गांव में ही रहकर कुछ करेंगे
जांजगीर चांपा के अवधेश बंजारे ने बताया बेंगलुरू में मजदूरी कर रहे थे। एक महीने से भी ज्यादा समय से वहीं फंसे थे। बाहरी राज्य के थे इसलिए वहां के अफसरों ने एक सेंटर में रख दिया था। खाना मिलता था, लेकिन कहीं आना-जाना नहीं कर सकते थे। बार-बार बोलते थे घर भेज दो, लेकिन वे कहते थे कि हम कुछ नहीं कर सकते। बाद में खबर आई कि हवाई जहाज से घर जाना है। अब मुझे बाहर नहीं जाना है, गांव में ही रहकर कुछ करना है।
जहाज में चढ़े तो बेहद डर लग रहा था
महासमुंद की बुजुर्ग छत्तन यादव ने कहा कि उन्होंने जिंदगी में पहली बार हवाई जहाज को इतने करीब से देखा। जब हवाई जहाज में चढ़ रहे थे तो बेहद डर लग रहा था। बच्चे छोटे हैं इसलिए लगा कि कहीं जहाज से गिर न जाए। जब हवाई जहाज आसमान में उड़ा तो और डर लगा कि अब क्या होगा। मैंने तो आंखें भी बंद कर ली थी। कई देर तक जब कुछ नहीं हुआ तो फिर लगा अब तो घर पहुंच ही जाउंगी।
एक ग्रुप आया और पूछा घर जाना है?
बलौदाबाजार की रहने वाली नंदनी सिंह, नमिता सेन और अन्नू यादव ने बताया कि वे काम के सिलसिले में ही परिवार के साथ बेंगलुरू गई थी। लॉकडाउन में वहीं फंस गई। घरवालों से संपर्क किया तो पता चला कि वापस आने की अभी कोई उम्मीद नहीं है। इधर सेंटर के कुछ लोगों ने बताया कि गांव के सरपंच और पूर्व सरपंच कुछ कर रहे हैं। कुछ लोगों ने बताया कि ट्विट भी हो रहे हैं। इसके बाद युवाओं का एक ग्रुप सेंटर आया और पूछा घर वापस जाना चाहतें हैं सभी ने कहां हां और फिर खुशखबरी आई कि टिकटों का इंतजाम हो गया है।