
जगदलपुर। छत्तीसगढ़ के घने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास की एक नई शुरुआत हुई है। बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन (BRO) ने इन दुर्गम इलाकों में सड़क निर्माण कार्य शुरू कर दिया है। सुरक्षा बलों की निगरानी और कड़ी सुरक्षा के बीच सड़कों का निर्माण किया जा रहा है, जिससे दूरदराज के ग्रामीण इलाकों को जिला मुख्यालय से जोड़ने का मार्ग प्रशस्त होगा।
बीआरओ की वापसी के साथ विकास की उम्मीद
करीब दो दशकों के लंबे इंतजार के बाद बस्तर के नक्सल गढ़ कहे जाने वाले इलाकों में BRO की वापसी हुई है। पहले चरण में बीजापुर के तरेम-पामेड़ और उसूर क्षेत्र में सड़क निर्माण का कार्य किया जा रहा है। CRPF जवानों और स्निफर डॉग की तैनाती के बीच यह कार्य नक्सलियों के प्रभाव वाले क्षेत्रों में किया जा रहा है।
केंद्र सरकार से 250 करोड़ की स्वीकृति
केंद्र सरकार ने बीजापुर, सुकमा और नारायणपुर जिलों में सड़क निर्माण के लिए 250 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की है। इस राशि से अंदरूनी इलाकों में सड़कें बनाई जा रही हैं, जो चार दशकों से नक्सलियों के प्रभाव के कारण अविकसित और कनेक्टिविटी से वंचित थीं।
सुरक्षा और विकास साथ-साथ
सड़क निर्माण कार्य के दौरान जवानों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लगातार एंटी-नक्सल ऑपरेशन चलाए जा रहे हैं। स्निफर डॉग्स और सीआरपीएफ के जवानों की सतर्क निगरानी में काम तेजी से आगे बढ़ रहा है।
ग्रामीणों को मुख्यधारा से जोड़ेगी सड़कें
इन सड़कों के बन जाने से बस्तर के अंदरूनी ग्रामीण इलाके जिला मुख्यालयों से जुड़ जाएंगे। इससे न केवल विकास को गति मिलेगी, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य और रोज़गार के अवसर भी ग्रामीणों तक पहुंच सकेंगे।
नक्सल गढ़ को विकास से जोड़ेगी नई सड़कें
यह पहल नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सरकार की उपस्थिति को मजबूत करने और क्षेत्र को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए एक बड़ा कदम है। नक्सलगढ़ में BRO की यह एंट्री विकास के एक नए अध्याय की शुरुआत है।