24 घंटे में एक और हथिनी की मौत, कीटनाशक के मिले पैकेट, हाथियों ने उठाने नहीं दिया शव
अम्बिकापुर- सूरजपुर जिले के जिस गणेशपुर जंगल में तालाब के किनारे गर्भवती हथिनी की मौत हुई थी, उसी जंगल मे कुछ दूरी पर 24 घंटे के भीतर एक और हथिनी की मौत हो गई। मौत का कारण अभी तक स्पष्ट नहीं हो सका है। घटनास्थल से कुछ मीटर की दूरी पर एक बोरी में कीटनाशक के पैकेट मिले हैं, जिन्हें जब्त कर लिया गया गया है। मंगलवार को जिस पोजीशन में हथिनी की लाश मिली थी ठीक उसी तरह बुधवार को भी दूसरी हथिनी की लाश मिली है। आरोपियों तक पहुंचने के लिए अचानकमार अभयारण्य से डॉग स्क्वायड को बुलाया गया है। हालात को देखते हुए राज्य वाइल्ड लाइफ के पीसीसीएफ भी मौके का जायजा लेने के लिए रायपुर से पहुंचे हैं। पशु चिकित्सा विभाग के डॉ. महेंद्र पांडे ने बताया कि आशंका है कि किसी ने जल स्रोत में जहर मिला दिया गया होगा या जहरीला तीर चलाकर जख्मी किया गया होगा, जिससे हथिनी के शरीर मे धीरे धीरे जहर फैल गया होगा। जल स्रोत में जहर मिलाने का अभी तक प्रमाण नहीं मिला है। दोनों हथिनी का बिसरा राष्ट्रीय वन्य जीव संस्थान में जांच के लिए भेजा जाएगा।
कहां तुम चले गए…दो साल के बच्चे समेत आज किसी ने पानी भी नहीं पिया
हाथियों के इस झुंड को लगातार हुई दो मौतों ने झकझोर दिया है। जिस हथिनी की मौत हुई है उसका दो साल का बेटा भी है। यह बच्चा भी सुबह से दल के दूसरे साथियों के साथ अपनी मां के शव के पास डटा हुआ है। वन विभाग के कर्मचारी और ग्रामीण बताते हैं कि रोज दोपहर को ये झुंड पास के तालाब में पानी पीने जाता था, लेकिन आज कोई पानी पीने भी नहीं गया।
दिनभर नहीं हो सका पीएम, हाथियों को खदेड़ने पटाखे फोड़े, फिर भी डटे रहे
घटना स्थल से कुछ दूरी पर चितकाबहरा जंगल मे हाथियों का दल डटा हुआ है। स्थिति यह थी कि पोस्टमार्टम के लिए डाॅक्टरों को लेकर वन अधिकारी भी हिम्मत नहीं जुटा सके। हाथियों को वहां से खदेड़ने के लिए पटाखे फोड़े गए लेकिन हाथियों का दल वहां से नहीं उठा। पीएम के लिए वन विभाग और डाॅक्टरों की टीम हाथियों के वहां से हटने का इंतजार कर रही है।
रात 11 बजे हथिनी को विचरण करते देखा, उसके बाद नाले के पास गिर गई
एक हथिनी की मौत के बाद पूरी हम लोग रात में निगरानी में में लगे थे। गजराज वाहन से रात 11 बजे तक टीम इलाके में पेट्रोलिंग की थी। हथिनी 11 बजे तक ठीक थी। नाले के पास पहुंचने के कुछ देर बाद वह वहां गिर गई। इसे देखकर साथ में विचरण कर रहा दूसरा हाथी चिंघाड़ने लगे। हम लोग अलर्ट हो गए कि हथिनी की मौत के गम में हाथी चिंघाड़ तो नहीं रहे हैं। थोड़ी दूर से हम लोगों ने देखा तो हथिनी पड़ी हुई थी।
दल का लीडर प्यारे हाथी हुआ आक्रामक, 6 साल में 59 लोगों को मार चुका
वनकर्मियों के अनुसार जिस दल की दो हथिनी की मौत हुई है यह प्यारे हाथी का दल है। प्यारे हाथी पिछले छह सालों में 59 लोगों को मार चुका है। दल के साथ जब वह जंगल के बाहर निकलता है तो ग्रामीण घरों से भाग जाते हैं। ग्रामीणों के अनुसार कोई सामने आया तो बचना मुश्किल है। रात में टार्च दिखाने पर वह दौड़ाकर मारता है।
हाथियों के लिए बना था तालाब, अब वहीं पर हुई दोनों मौत: दोनों हथिनी की मौत उस तालाब के आसपास ही हुई है जिसे कुछ साल पूर्व वन विभाग द्वारा हाथियों के लिए बनाया गया था। जंगल से निकलकर हाथी रोज तालाब में पानी पीने के लिए आते हैं। गांव में हाथी न आएं इसलिए तालाब बनाया गया था। तालाब के किनारे जंगल है और वहां तेजी से पेड़ काटकर कब्जा किया जा रहा है।