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लाकडाउन और ग्रीष्मावकाश में भी मुकम्मल रही मध्याह्न भोजन की व्यवस्था

लाकडाउन के 40 दिनों के लिए और ग्रीष्मावकाश के 45 दिनों के लिए सूखा राशन वितरण से बच्चों का पोषण नहीं हुआ बाधित
एक लाख नौ हजार बच्चों के घरों में पहुंचा सूखा राशन
पैंतालीस दिनों के लिए गई दूसरी खेप में तेल, नमक, सोया बड़ी और अचार भी दिये गए

दुर्ग-कोविड आपदा के दौर में भी छत्तीसगढ़ शासन ने बच्चों का खास ध्यान रखा। लाकडाउन पीरिएड में बच्चों का पोषण किसी तरह से बाधित न हो इसलिए सभी बच्चों के घरों में मध्याह्न भोजन का सूखा राशन उपलब्ध कराया गया। साथ ही ग्रीष्मावकाश में भी बच्चों के लिए मध्याह्न भोजन की व्यवस्था हेतु सूखा राशन उपलब्ध कराया गया। जिले में दो चरणों में मध्याह्न भोजन के सूखा राशन के पैकेट वितरण का काम हुआ। पहला खेप चालीस दिनों के लिए था। इसमें 973 स्कूलों के लगभग एक लाख नौ हजार बच्चों के लिए सूखा राशन भेजा गया। दूसरे चरण में पैंतालीस दिनों के लिए मध्याह्न भोजन के सूखा राशन पहुंचाया गया। दूसरे चरण में पैकेट में तेल, नमक, अचार और सोया बड़ी भी दिये गए, इस तरह पूरी तरह से मुकम्मल खाने की व्यवस्था की गई। मध्याह्न भोजन की व्यवस्था निरंतर होने से लाकडाउन के बावजूद किसी तरह की दिक्कत नहीं आई। इसके लिए शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने एवं शिक्षकों ने कड़ी मेहनत की। सेक्टर-6 स्कूल में सूखा राशन लेने अपने बच्चों के साथ पहुंचे अभिभावकों ने कहा कि लाकडाउन एवं ग्रीष्मावकाश में भी बच्चों के मध्याह्न भोजन की अच्छी व्यवस्था रही। पर्याप्त मात्रा के साथ गुणवत्ता भी सुनिश्चित की गई।

सोया बड़ी भी उपलब्ध कराई गई- सोया बड़ी प्रोटीन की वजह से दी गई। सोया बड़ी में पर्याप्त मात्रा में पोषण रहता है जो इस आयु के बच्चों के लिए काफी उपयोगी होता है। प्राथमिक स्कूल के  बच्चों को प्रति छात्र प्रति दिन 10 ग्राम  के हिसाब से साढ़े चार सौ ग्राम सोया बड़ी दी गई। पूर्व माध्यमिक शाला के बच्चों को 15 ग्राम प्रति दिन के हिसाब से इस प्रकार 675 ग्राम सोया बड़ी सूखा राशन पैकेट में दी गई। खाना स्वादिष्ट हो इसलिए अचार का पैकेट भी दिया गया। तेल और नमक भी सूखा राशन के पैकेट में रखा गया।
कहां कितना सूखा राशन वितरित- जिले में लगभग 612 प्रायमरी स्कूलों में मध्याह्न भोजन संचालित हैं। इनमें दुर्ग ब्लाक में 245, धमधा ब्लाक में 185 तथा पाटन ब्लाक में 182 स्कूलों में मध्याह्न भोजन संचालित हैं। इसी प्रकार 361 पूर्व माध्यमिक शालाओं में मध्याह्न भोजन संचालित है। इनमें से 807 स्कूलों में स्वसहायता समूहों द्वारा मध्याह्न भोजन का संचालन होता है। इन सभी में सूखा राशन पैकेट का वितरण किया जा चुका है। अक्षयपात्र संस्था के माध्यम से 166 स्कूलों में मध्याह्न भोजन का संचालन होता है। इनमें भी वितरण किया जा चुका है।
कंटेनमेंट की वजह से दो स्कूलों में रूका, कंटेनमेंट खुलते ही यहां भी कराया जाएगा उपलब्ध- कंटेनमेंट जोन में होने के कारण दो स्कूलों के बच्चों को अब तक राशन उपलब्ध नहीं कराया जा सका है। कंटेनमेंट जोन जैसे ही हटेगा, उन्हें भी मध्याह्न भोजन के लिए सूखा राशन उपलब्ध करा दिया जाएगा।

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