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गुणवत्ता विहीन कल्वर्ट भरभरा कर गिर गया सिविल विभाग की खुली पोल

Gudvatta vihin Kalwart nirman ki diwal giri

  1. *दीपका खदान में गुणवत्ता विहीन कल्वर्ट निर्माण की खुली पोल मिट्टी फिलिंग के दौरान ही भरभरा कर गिर गया 20 मीटर लम्बा दीवाल*

*सिविल विभाग पर उठ रहा सवालिया निशान*
गेवरा दीपका
एसईसीएल दीपका खदान प्रतिदिन अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर हो रही है जिस रफ्तार से कोयले की निकासी कर मुनाफा प्रबंधन कर रही है उतनी ही भ्रष्टाचार यहां के अधिकारी लिप्त है। टेंडर प्रक्रिया में होने वाले लीपापोती को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने ऑनलाइन टेंडर प्रक्रिया शुरू की है,मगर कहा जाता है कि कानून बाद में बनते हैं उसका तोड़ पहले ही निकल जाता है ,जिस तरह से एसईसीएल में 50 से 60 परसेंट बिलों में ठेकेदार कॉन्ट्रेक्ट लेते हैं, और उस काम को पूरा कर बिल भी पास करा लेते हैं, आप सहज अंदाज लगा सकते हैं कि जिस काम को एक लाख रुपए में करना है उसे ठेकेदार मात्र 40 हजार में ही पूर्ण कर देते हैं, जिस तरह से ठेकेदार टेंडर लेकर काम करते हैं उसे देखकर तो यह लगता है, कि पुरानी प्रक्रिया में जरूर कोई ना कोई कमी थी । यह तो रही टेंडर की बात अब हम आपको दीपका खदान के मुहाने पर बन रहे कल्वर्ट का नजारा बताते है इस पक्के नाले का निर्माण इसलिए किया जा रहा है ताकि बारिश में खदान के ऊपरी सतह के पानी खदान और कालोनी में प्रवेश ना कर जाए और सुरक्षित तरीके से बारिश के दिनों में भी कोयले की निकासी की जा सके, लेकिन हम आपको बता दें इसके निर्माण में इतना भ्रष्टाचार हुआ है कि यहाँ 20 मीटर लंबा 20 फिट चौड़ा कल्वर्ट बनकर तैयार हुआ और मिट्टी फिलिंग के दौरान भरभरा कर नीचे गिर गया। जब हमने मौके पर संबंधित सिविल का कोई सुपरवाइजर नही मिला वहां पर हमें ठेकेदार का मुंशी अशोक राठौर जरूर मिला उसने बताया कि डोजर से मिट्टी फीलिंग कराया जा रहा था मिट्टी के अधिक दवाब से व गीला होने से कल्वर्ट गिर गया।

  1. हम आपको याद दिला दे कि यह दीपका खदान MTK नम्बर 02 का
    वही स्थान है जहां रेकी निकासी एक महिला मजदूर की मिक्चर मशीन की चपेट में आने से मौत हो गई थी। सुरक्षा उपकरणों की कमी से मजदूर को अपनी जान गवानी पड़ी थी । गौरतलब है कि करीब एक करोड़ के टेंडर को महज 50 लाख रुपया में ठेकेदार ने लिया है अब इतने कम रुपए में इस कार्य की पूर्ति कैसे की जा सकती है स्वाभाविक है कि कंही न कंही भरपाई इसकी की गई होगी । और यही वजह है कि संबंधित अधिकारियों को मोटी रकम देकर ठेकेदारों के द्वारा कार्य की इतिश्री कर ली जाती है।
sushil tiwari

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