गेवरा/दीपका : ब्लैक फंगस के संदेह से परेशान हुआ परिवार, रिपोर्ट नेगेटिव आने पर ली राहत की सांस, डॉक्टर ने झाड़ा पल्ला, जानिए क्या है पूरा मामला
गेवरा/दीपका। कोरोना के बाद अब ब्लैक फंगस छत्तीसगढ़ में कहर बरसा रहा है। कोविड से स्वस्थ हुए लोगों के गले की फांस यह ब्लैक फंगस बन गया है। लोगों को कोरोना से ठीक होने के बाद भी हर पल खतरा महसूस हो रहा है।
दरअसल, इस समय कन्फ्यूजन से काम नही चलेगा बल्कि सभी को सावधानी और सतर्कता बरतनी होगी। कन्फ्यूजन का एक किस्सा SECL कर्मचारी के साथ हुआ, जो गेवरा परियोजना के ऑटो सेक्शन में मैकेनिकल फिटर के पद पर पदस्थ है।
बता दे कि पीड़ित 5 जनवरी को कोविड पॉजिटिव पाए गए। उनका इलाज श्रीराम केयर अस्पताल बिलासपुर में लगभग 1 महीने तक चला। स्वस्थ होने के बाद वे गेवरा अपने घर वापस आ गए लेकिन कुछ दिनों बाद उनके मसूड़ों में दर्द हुआ। उन्होंने डॉक्टर को दिखाना सही समझा और निजी अस्पताल गए।
पीड़ित ने बताया कि उनके ऊपर का जबड़ा पूरी तरह सुन्न हो गया और एक दांत टूट कर गिर गया। निजी अस्पताल में डॉक्टरों ने ब्लैक फंगस होने का शक जाहिर किया, जिसके बाद निजी चिकित्सक की सलाह पर NCH अस्पताल गेवरा ने पीड़ित को रायपुर एम्स रेफर कर दिया। आज पीड़ित की सभी रिपोर्ट नेगेटिव आई है, जिसके बाद परिवार ने राहत की सांस ली है। नई बीमारी की आशंका से पीड़ित का पूरा परिवार परेशान हो गया था।
क्या कहते है डॉ. ए.के. बहरा –
वही, मामले में नेहरू शताब्दी चिकित्सालय गेवरा के सीएमएस डॉ. ए.के. बहरा ने बताया कि हमारे अस्पताल से किसी भी ब्लैक फंगस पीड़ित मरीज को रेफर नहीं किया गया है। केवल कोरोना या अन्य गंभीर बीमारी के लिए यहां से मरीजों को गहन चिकित्सा के लिए भेजा जा रहा है।
बहरहाल, मरीज का कहना है कि डॉक्टरों की सलाह पर वह एम्स रेफर किया गया था, जबकि डॉक्टर ने इस बात से सीधा पल्ला झाड़ दिया है। आखिर मामला क्या है इसकी तह तक तो पहुंचा जाएगा, लेकिन पीड़ित की रिपोर्ट नेगेटिव आने से परिवार सहित आस-पास के लोगों ने भी राहत की सांस ली है।