श्रीगणेश पुराण यज्ञ (प्रथम दिवस) : पंच देवों में समन्वय स्थापित कराने वाला पुराण है “गणेश पुराण” – शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती जी
छत्तीसगढ़/पलारी। ‘परमाराध्य’ परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरु श्रीश्री शंकराचार्य जी स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती ‘1008’ का दिव्य आगमन शनिवार को छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिला में हुआ, जहां महेंद्र वर्मा और दिनेश तिवारी के निवास पर पादुकापुजन सम्पन्न हुआ और पलारी के लिए प्रस्थान किए।
शंकराचार्य का भव्य स्वागत –
वही, पलारी नगर आगमन पर यशवर्धन वर्मा अध्यक्ष नगर पंचायत पलारी के नेतृत्व में भव्य अभिनंदन कर पूज्य श्री शंकराचार्य को रथ पर बैठाया गया। वही नगर की माताओ व बहनो द्वारा पारंपरिक पोषाक धारण किए सिर पर कलश रख भव्य शोभा यात्रा निकाली गई। आगे आगे धुमाल की धुन पर श्रीराम संकीर्तन व भव्य आतिशबाजी कर नगर के गायत्री मंदिर से प्रारम्भ कर शीतला माता, ठाकुरदेव व महामाया मंदिर होते हुए बाज़ारचौक स्थित वर्मा निवास पर पदार्पण हुआ। वर्मा परिवार द्वारा स्वागत अभिनन्दन कर निवास पर पादुका पूजन सम्पन्न कराया गया।
स्वर्गद्वार में प्रारम्भ हुआ श्रीगणेश पुराण कथा ज्ञान यज्ञ –
वही वर्मा निवास से शोभा यात्रा सीधे श्रीगणेश पुराण कथा स्थल स्वर्गद्वार पहुची, जहां पुनः यशवर्धन वर्मा और परिवार के द्वारा पादुकापुजन कर कथा का प्रारंभ हुआ।
साप्ताहिक श्रीगणेश पुराण ज्ञानयज्ञ प्रथम दिवस –
ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य महाराज स्वामिश्री अविमुक्तेश्वरानंद: सरस्वती जी महाराज ने कथा व्यास से कहा सनातन धर्म में पंचदेवोपासना का बहुत महत्व है। प्रत्येक सनातनधर्मी गणेश, विष्णु, सूर्य, शिव और शक्ति इन पाँच रूपों में देवता की उपासना करते हैं। कुछ लोग जो एक देवता की उपासना में गाढ निष्ठा रखते हैं वे दूसरे देवता की निन्दा की ओर प्रवृत्त होने लगते हैं। ऐसा भेद अक्सर शिव और विष्णु भक्तों में देखने को मिलता है। परन्तु गणेश पुराण पंचदेवों में समन्वय स्थापित कराने वाला पुराण है। इस पुराण में यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि भगवान् गणेश ही भक्तों की भावना के अनरूप पाँच रूपों में प्रकट हो जाते हैं और इस पुराण के अध्ययन से देवताओं में भेद-बुद्धि का निरास करती है और सबमें समन्वय स्थापित कराती है।
उन्होंने कहा कि गणेश पुराण को भृगु पुराण, विनायक पुराण, मुद्गल पुराण नाम से भी यह पुराण प्राप्त होता है। जो लोग गणेश पुराण का श्रवण करते हैं उनको राज्य की प्राप्ति होती है क्योकि इसे राजस् पुराण कहा जाता है।
उन्होंने गिलहरी और अगस्त्य ऋषि की कथा सुनाते हुए कहा कि जैसे गणेश जी का स्मरण करके अगस्त्य ऋषि ने गिलहरी के अण्डे को वापस करने हेतु विशाल समुद्र को सुखा दिया था ऐसे ही भगवान् श्रीगणेश जी का स्मरण करने से विघ्न सागर को सूख जाते हैं।
हज़ारों भक्तों की उमड़ी भीड़ –
आज़ प्रथम दिवस के आयोजन में यशवर्धन वर्मा अध्यक्ष नगर पंचायत पलारी, ब्रह्मचारी श्रवनानन्द, चन्द्रप्रकाश उपाध्याय ज्योतिर्मठ के विशेष कार्याधिकारी, धर्मालंकार डॉ पवन कुमार मिश्र, मोतीराम चन्द्रवंशी पूर्व विधायक, उमंग पांडे नेता प्रतिपक्ष कवर्धा, अतुल देशलहरा शंकराचार्य जनकल्याण न्यास के ट्रस्टी, अशोक साहू शंकराचार्य मीडिया प्रभारी सहित हज़ारो की संख्या में श्रोतागण उपस्थित रहे।