
रायपुर। छत्तीसगढ़ के धुर नक्सल प्रभावित इलाके में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) ने अपना 84वां स्थापना दिवस समारोह मनाने का निर्णय लिया है। 19 मार्च को बस्तर जिले में आयोजित इस समारोह में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हो सकते हैं। वह जगदलपुर जिला मुख्यालय से आमसभा को भी संबोधित कर सकते हैं। राज्य के सबसे दक्षिणी क्षेत्र में स्थित बस्तर जिला, सुकमा, दंतेवाड़ा और बीजापुर जैसे जिलों से घिरा हुआ है, जहां सीआरपीएफ के नेतृत्व में सुरक्षा बलों द्वारा बड़े माओवादी हमले और जवाबी कार्रवाई की गई है।
टीसीओसी के बीच स्थापना दिवस –
रक्षा विशेषज्ञों की मानें यह आयोजन यह संदेश देगा कि वामपंथी उग्रवाद प्रभावित राज्यों के सभी क्षेत्रों में बलों का दबदबा है और सशस्त्र नक्सलियों के बहुचर्चित सामरिक जवाबी आक्रामक अभियान (टीसीओसी) के बीच इसका आयोजन किया जाएगा। सीआरपीएफ के अधिकारिक सूत्रों की मानें तो टीसीओसी मार्च-जून में नक्सलियों द्वारा अपने कैडरों को मजबूत करने और सुरक्षा बलों पर बड़े हमले शुरू करने के लिए किया जाता है क्योंकि जंगलों में हरियाली नहीं होती है, जिससे दृश्यता बढ़ती है।
जानकारी के मुताबिक सीआरपीएफ ने पिछले तीन वर्षों में राज्य में लगभग 15 फारवर्ड आपरेटिंग बेस (एफओबी) या रिमोट आपरेशनल कैंप बनाए हैं। बल का गठन 1939 में किया गया था और भारत के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने 19 मार्च, 1950 को इसे राष्ट्रपति ध्वज प्रदान किया था।
जम्मू में भी मना चुके हैं ऐसा ही समारोह –
लगभग 3.25 लाख कर्मियों के साथ देश के सबसे बड़े केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) को वामपंथी उग्रवाद, पूर्वोत्तर में उग्रवाद विरोधी अभियानों और जम्मू में आतंकवाद विरोधी अभियानों के तीन मुख्य क्षेत्रों में काम करने के लिए तैनात किया गया है। इस संगठन ने पिछले साल जम्मू में अपना 83वां वर्षगांठ समारोह आयोजित किया था। जानकारी के मुताबिक केंद्र सरकार ने सभी अर्धसैनिक बलों या सीएपीएफ को राष्ट्रीय राजधानी के बाहर इन कार्यक्रमों को आयोजित करने के लिए कहा था।