छत्तीसगढ़ बड़ी खबर : इंद्रावती पर सियासी संग्राम, सांसद महेश कश्यप ने कांग्रेस की पदयात्रा को बताया ढोंग

सुकमा। बस्तर से भाजपा सांसद महेश कश्यप ने कांग्रेस की इंद्रावती पदयात्रा पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने इसे “राजनीतिक ढोंग” बताते हुए कहा कि कांग्रेस अब जनता को गुमराह करने का प्रयास कर रही है, जबकि सत्ता में रहते हुए खुद इंद्रावती नदी की चिंता नहीं की। सांसद ने कहा कि पीसीसी चीफ दीपक बैज ने पांच साल सरकार में रहते हुए इंद्रावती की कोई सुध नहीं ली, और अब जब भाजपा सरकार गंभीरता से काम कर रही है, तो कांग्रेस सिर्फ सियासी नौटंकी कर रही है।
भाजपा सरकार की तैयारी –
महेश कश्यप ने बताया कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और जल संसाधन मंत्री केदार कश्यप की निगरानी में इंद्रावती नदी को पुनर्जीवित करने की दिशा में ठोस योजनाएं बनाई जा रही हैं। वर्ष 2024 में 15 नई योजनाओं की निविदा जारी कर निर्माण कार्य शुरू करा दिया गया है। वहीं वर्ष 2024-25 में 80 नई योजनाओं को बजट में शामिल किया गया है, जिनमें से 52 योजनाओं को मंजूरी मिल चुकी है। इनसे बस्तर क्षेत्र की 12,000 हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई सुविधा मिलेगी।
कांग्रेस के कार्यकाल पर सवाल –
कश्यप ने कहा कि 2019 से 2023 तक कांग्रेस सरकार ने सिर्फ एक परियोजना – करेकोट एनीकट योजना को मंजूरी दी, जिसकी लागत 18 करोड़ रुपये थी। इंद्रावती बेसिन विकास प्राधिकरण की स्थापना के बावजूद एक भी बैठक नहीं हुई। वहीं वर्तमान सरकार मटनार, देउरगांव और महादेवघाट बैराज जैसी बड़ी योजनाओं पर काम शुरू कर चुकी है, जिससे 50 TMC जल भंडारण क्षमता और 35,000 हेक्टेयर में सिंचाई सुविधा सुनिश्चित होगी।
इंद्रावती-जोरानाला जल संकट का समाधान –
कश्यप ने जानकारी दी कि ओडिशा से आने वाले जल प्रवाह में सिल्ट और बोल्डर जमने से पिछले वर्षों में छत्तीसगढ़ को 50% की जगह केवल 16% जल मिल रहा था। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने ओडिशा सरकार से समन्वय कर अस्थायी समाधान कराया, जिससे अब 49% जल प्रवाह सुनिश्चित हो गया है। साथ ही जून 2025 तक 4 करोड़ की लागत से स्थायी समाधान का कार्य भी ओडिशा ने स्वीकार कर लिया है।
भविष्य की योजना –
बस्तर संभाग को कुल 372 TMC जल आबंटित है, लेकिन अब तक केवल 5% जल भंडारण क्षमता बनी थी। इसे बढ़ाने के लिए “इंद्रावती-महानदी जोड़ो परियोजना” का सर्वेक्षण कार्य शुरू हो चुका है, जिससे 4 लाख हेक्टेयर में सिंचाई सुविधा का लक्ष्य है। 15 अप्रैल 2025 को मुख्यमंत्री ने नवीन मुख्य अभियंता कार्यालय का शुभारंभ भी किया है, ताकि बस्तर क्षेत्र की परियोजनाओं को तेजी मिले।
जहां एक ओर भाजपा सरकार जल संकट के स्थायी समाधान और बस्तर में सिंचाई विस्तार के लिए ठोस कार्य कर रही है, वहीं कांग्रेस पर इसे लेकर राजनीतिक लाभ लेने का आरोप लग रहा है। आने वाले समय में इंद्रावती नदी को लेकर सियासत और तेज़ हो सकती है।