कबीरधाम : ‘नरवा, गरूवा, घुरूवा अउ बारी’ योजना में गौ-मूत्र खरीदी को शामिल करने की मांग, राजस्व को होगा फायदा
कबीरधाम। छत्तीसगढ़ की सरकार के महत्वाकांक्षी योजनाओं से प्रभावित होकर गौवंश की रक्षा के लिए आशीष अग्रवाल ने बहुत उम्मीद से मुख्यमंत्री को एक आवदेन भेजा। वही इस आवेदन के माध्यम से आशीष ने कहा हैं कि महत्वाकांक्षी योजना नरवा,
गरूवा, घुरूवा अउ बारी में गौ-मूत्र खरीदी को भी शामिल किया जाना चाहिए। इससे राजस्व और गौवंशों को लाभ मिलेगा, साथ ही रोजगार की भी उम्मीद हैं।
“नरवा, गरूवा, घुरूवा अउ बारी” योजना का भविष्य उज्जवल –
राज्य शासन की महात्वाकांक्षी योजना “नरवा, गरूवा, घुरूवा अउ बारी” के तहत गोबर खरीदी अपने शुरूवाती प्रक्रम में है। इस योजना का भविष्य काफी उज्ज्वल है। भविष्य में सहकारी समिति के माध्यम से गोबर खरीदी में वृद्धि होगी।
राज्य को राजस्व में अच्छी वृद्धि की उम्मीद –
वही, राज्य को राजस्व में अच्छी वृद्धि की उम्मीद है बल्कि ऐसे में जैविक खाद की बिक्री अन्य राज्यों में भी संभव होगी, जिससे छत्तीसगढ़ अपने विशिष्ट पहचान के साथ आगे बढ़ेगा। अब लोग वृद्ध गौ-वंशों को भी इसलिए पालेंगे क्योंकि, उनसे मिलने वाला गोबर उनके लिए लाभकारी होगा। कुल मिलाकर राज्य सरकार की योजना अत्यंत प्रशंसनीय और जनहित के लिए अनुकूल है।
गौ-मूत्र की खरीदी से मजदुर और किसान संपन्न होंगे –
यदि राज्य सरकार गोबर के साथ गौ-मूत्र की भी खरीदी भी शुरू कर दे तो न सिर्फ स्थानीय मजदुर और किसान संपन्न होंगे बल्कि राज्य के राजस्व को भी लाभ होगा। पतंजलि सहित जितनी भी कम्पनियां गौ-मूत्र को औषधीय रूप में तैयार करती हैं उनकी बिक्री हर माह करोड़ों में है।
गौ-मूत्र से राज्य सरकार बना सकती है औषधी –
विदित हो कि बाजार में गौ-मूत्र आसानी से नहीं मिलता। ऐसे में राज्य सरकार गोबर खरीदी के साथ सहकारी समिति के माध्यम से गौ-मूत्र की खरीदी कर खुद ही औषधीय रूप से उत्पादन को शुरू कर दे तो गौ-वंशो को समुचित सम्मान मिलेगा। वही उनकी सुरक्षा सुनिश्चित होगी। फिर जनता केवल दूध के लिए गौ-पालन नहीं करेंगे बल्कि गोबर और गौ-मूत्र के लिए भी गौ-पालन शुरू करेंगे। वही, स्थानीय मजदुरों किसानों और लघु व्यावसायियों को भी संपन्नता मिलेगी। वही, राज्य समृद्धि की ओर एक कदम और आगे बढ़ायेगा।
मुख्यमंत्री ठेठ छत्तीसगढ़ियां –
मुख्यमंत्री ठेठ छत्तीसगढ़ियां हैं और अपने छत्तीसगढ़ महतारी
से बहुत प्रेम करते हैं, उनके कार्यशैली में दिखाई देता है। जिस प्रकार वन औषधि के रूप में शहद अब अन्य राज्यों में बिक्री के लिए जा रहा है। ऐसे ही औषधि के रूप में गौमूत्र का भी भविष्य उज्ज्वल है।
लोगों को मिलेगा रोजगार –
यदि राज्य सरकार गौ-मूत्र को लंबे समय तक औषधि के रूप में सुरक्षित रखने व्यापारियों को सब्सिडी प्रदान करे, जिससे छोटी फेक्ट्रीयां और फिल्टर प्लांट खुल सके। इससे अधिकाधिक लोग उत्साहित होकर उत्पादन में सहयोग करेंगे व अधिक से अधिक लोगों को रोजगार मिलेगा।
गौ-मूत्र की खरीदारी कर दे अनिवार्य –
जिस प्रकार गोबर से बने खाद की खरीदी अनिवार्य कर दी गई है ऐसे ही गौ-मूत्र की खरीदी को भी सरकार अनिवार्य कर दे और ऐसे खरीदी में कृषि अधिकारियों के माध्यम से खरीददारी किया जाये, ताकि व्यवस्थित रूप से खरीदी हो सके और प्रत्येक 30
ग्राम पंचायत (लगभग 100 गाँवो) का कलस्टर बनाकर उसमें न्यूनतम एक गौ-मूत्र फिल्टर प्लांट अनिवार्य किया जाये।
महिलाओं को फायदा शराबबंदी आसान –
इस कार्य में महिला स्व-सहायत समूह के माध्यम से खरीदी भी हो सकती है, जिससे महिलाओं को भी इस कार्य में अच्छी आर्थिक समृद्धि मिलेगी। वर्तमान में विभिन्न कम्पनियों के गौ-मूत्र उंची से उंची कीमत पर बिक रहा है। जिसमें 160/- प्रति लीटर से लेकर इससे अधिक राशि में भी बिक रहा है। गौ-मूत्र गंभीर शारीरिक व्याधियों में अच्छी औषधि के रूप में उपयोगी है। इसलिए अगर राज्य सरकार 50/- रूपये प्रति लीटर कम कीमत पर बेचती है तो बिक्री भी अच्छी होगी और राज्य को अधिक से अधिक राजस्व भी मिलेगा, जिससे शराब बंदी आसान हो जायेगी क्योंकि, राज्य सरकार को राजस्व को नियंत्रित करने एक नया माध्यम मिल जायेगा।
फसल के लिए अत्यंत लाभकारी गौ-मूत्र –
गौ-मूत्र फसलों पर कीट प्रकोप के विरूद्ध भी बहुत प्रभावशाली औषधि हैं। साथ ही अन्य रासायनिक कीटनाशकों की अपेक्षा फसल के अत्यंत लाभकारी है। भूमि की उर्वरा शक्ति का क्षरण नहीं होगा। क्योंकि, गौ-मूत्र जमीन के उपजाऊ शक्ति को बढ़ाती
है ना कि, नष्ट करती है। साथ ही यदि मनरेगा को इस कार्य से जोड़ दिया तो सरकार को उत्पादन बढ़ाना अत्यंत आसान हो जायेगा। सरकार चाहे तो कृषि कार्य के साथ मनरेगा व NRLM को जोड़ सकती है।
राज्यसरकार की योजना अत्यंत अनुकरणीय –
राज्यसरकार की योजना अत्यंत अनुकरणीय और प्रशंसनीय है। क्योंकि, गौ वंशो की रक्षा बिना कानून बनाये केवल योजना के उचित क्रियान्वयन से संभव हो सकता है। ये संपूर्ण भारत में पहला उदाहरण है और पहला राज्य है, जिसके लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बधाई एवं प्रशंसा के पात्र हैं।
गौ-मूत्र की खरीदी अनिवार्य कर सकती सरकार –
राज्य सरकार प्रत्येक जिले के आयुष विभाग में गौ-मूत्र की खरीदी अनिवार्य कर सकती है, जिससे प्रारंभिक स्तर पर प्रोत्साहन प्रारंभ हो जायेगा। साथ ही यदि सरकार 100ml., 250 ml., 500 ml., 1 लीटर के गौ-मूत्र की बिक्री करती है तो अति
विपन्न लोग भी आसानी से खरीद पायेंगे और बिक्री में तेजी आयेगी, जिससे राज्य सरकार नयी तकनीक और नये उत्साह के साथ उक्त बिक्री को अधिक से अधिक बढ़ा पायेगी।