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मैकल पर्वत की तलहटी चिल्फी में तैयार हो रही है नाशपाती की खेती

छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले के बाद कबीरधाम जिले में नाशपाती की खेती का प्रयोग सफल

नाशपाती की खेती के लिए समुद्र तट से नौ सौ फीट उचांई पर स्थिति मैकल पर्वत की चिल्फी की भूमि उपयुक्त

कवर्धा- छत्तीसगढ़ की कबीरधाम जिले में नाशपाती की खेती समुद्र तल से लगभग नौ सौ फीट की उचाई पर स्थित चिल्फी घाटी के उपर और मैकलपर्वत की तलहटी में तैयार हो रही है। प्रदेश का यह दूसरा जिला है, जहां नाशपाती की खेती का प्रयोग सफल माना जा रहा है। इससे पहले बलरामपुर में यह खेती हो रही है। बलरामपुर और कबीरधाम जिले की भौगोलिक संरचना और जलवायु तथा मौसम सामान होने की वहज से नाशपाती खेती करने में मददगार हो रही है। मैकल की तलहटी में जून-जुलाई वर्ष 2018 में नाशपाती के पौधों का रोपण किया गया था। लगभग 6 एकड़ में यह खेती की जा रही है। ढाई से तीन फीट नाशपाती के पौधों की उचाई हो गई है।
कलेक्टर श्री अवनीश कुमार शरण इससे पहले जब वे बलरामपुर जिले के कलेक्टर थे, तब उन्होने वहां भी जलवायु और मौसम की अनुकुलता को देखते हुए पॉयलेट प्रोजेक्ट तैयार कर नाशपाती की खेती शुरूआत की थी। मौसम और जलवायु की अनुकुलता और मिट्टी की उर्ववरक शक्ति को विशेष ध्यान में रखते हुए कबीरधाम जिले में नाशपाती की खेती की शुरूआत की गई है। जिला प्रशासन की यह ड्रीम प्रोजेक्ट है। जिले में नाशपाती की खेती का प्रयोग सफल हो गया है। जिले में मैकल पर्वत की तलहटी में मौसम की अनुकुलता और नाशपाती की खेती के लिए जलवायु और मिट्टी उपयुक्त पाया गया है, इसलिए यहां खेती की जा रही है। नाशपाती की खेती से शीघ्र ही मीठे एवं रसीले फलों का पैदावार शुरू हो जाएगा।
नाशपाती की खेती और उत्पादकता पूरी तरह से मौसम, जलवायु,मिट्टी और पानी की उपलब्धता पर निर्भर होती है। इनमें से किसी भी कारक के बदलने अथवा स्वरूप में परिवर्तन से उत्पादन प्रभावित होता है। चिल्फी में नाशपाती के लिए जिस जगह का चयन हुआ है वहां बोंदा नाला है,जो बारहमाह प्रवाहित होती है। यह भू-भाग मैकल पर्वत श्रेणी की तलहटी भाग है। चारों तरह सराई पेड़ का जंगल है इसलिए वहां सालभर उप-उष्ण मौसम निर्मित होती रहती है।

स्थानीय बैगाओं के लिए होगा रोजगार सृजन – कलेक्टर

कलेक्टर श्री अवनीश कुमार शरण ने कहा कि कबीरधाम जिले के मैकल पर्वत की चिल्फी भू-भाग में उप-उष्ण मौसम रहने की वजह से नाशपाती की खेती का प्रयोग किया गया है। यह प्रयोग सफल हो गया है। नाशपाती की खेती से फलो की पैदावार होने के बाद बैगा समुदाय के युवाओं के लिए रोजगार के नए-नए अवसर मिलेंगे। स्थानीय युवाओें के लिए बेहतर रोजगार सृजन होगा। फलो की पैकेजिंग से लेकर ट्रासर्पोटिंग जैसे नए क्षेत्र में भी रोजगार अवसर मिलेगे। उनकी आर्थिक समृद्धि और विकास का आधार भी बनेगा।

चिल्फी की मौसम बनी नाशपाती की खेती के लिए मददगार- उद्यानिकी अधिकारी

उद्यानिकी विभाग के सहायक संचालक श्री आरएन पांडेय ने बताया कि जिले के चिल्फी क्षेत्र सालभर उप-उष्ण मौसम निर्मित होती रहती है। मौसम,जलवायु,मिट्टी और पानी की उपब्धता को देखते हुए इस क्षेत्र में नाशपाती की खेती का सफलतम प्रयोग किया गया। छःसौ से अधिक पौधों का रोपण किया गया। हालांकि सौ के आपपास के पौधों को रोपण के बाद जंगली जानवरों ने नुकसान पहुंचाया था। उनके जगह से नए पौधों का रोपण किया जाएगा। सुरक्षा के लिए पूरे भू-भाग को तारे से घेरा गया है। सुरक्षाकर्मी भी वहां तैयार किया गया है। कलेक्टर के निर्देश पर सोलर पम्प लगाया जाएगा। नाले में पानी की समुचित उपयोग के लिए चेकडम का भी निर्माण किया जाएगा। पांच साल में पौधों से नाशपाती फलां की पैदावार शुरू हो जाएगी।

 

cgnewstime

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